बिजनेस पार्टनर को जान से मारने दी 10 लाख की सुपारी, तांत्रिक सहित चार चढ़े पुलिस के हत्थे

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। जादू-टोना से अपने बिजनेस पार्टनर को जान से मारने की सुपारी दिए जाने का मामला सामने आया है। दिलचस्प यह है कि जिस पार्टनर को मारने सुपारी दी गई थी उसी पार्टनर को तांत्रिक धमकाकर रकम की मांग करने लगा था। मामले की शिकायत पुलिस के पास पहुंचने पर मामले की पड़ताल की गई और कुछ घंटों में आरोपियों को कब्जे में ले लिया गया। इस मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को अपनी गिरफ्त में लिया है।

मामला सुपेला थाना क्षेत्र का है। कोहका आर्यनगर निवासी संजीव सिंह ने पुलिस से शिकायत की थी कि कुछ दिनों से एक तांत्रिक के धमकी भरे फोन उसे आ रहे हैं। तांत्रिक द्वारा जादू-टोना के माध्यम से जान से मारने की सुपारी मिलने का हवाला देते हुए धमकाया जा रहा है। तांत्रिक का कहना है कि उसे इस काम के लिए 10 लाख रुपए की सुपारी मिली है। यदि संजीव उसे 11 लाख रुपये दे देगा तो वह जादू-टोने की प्रक्रिया को रोक देगा।

पुलिस ने शिकायत मिलने पर कार्रवाई प्रारंभ की। एसपी डॉ अभिषेक पल्लव के निर्देश पर सुपेला टीआई दुर्गेश कुमार शर्मा के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया। पुलिस की सलाह पर संजीव ने तांत्रिक को रकम देने के बहाने दुर्ग बस स्टैंड बुलाया। जहां पुलिस ने उसे दबोच लिया। कब्जे आए आरोपी तांत्रिक कबीरधाम के सहसपुर लोहारा निवासी संतोष मिर्ची (37 वर्ष) ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उतई (गुण्डरदेही) निवासी अजय कोसरे (36 वर्ष) के माध्यम से उसे यह सुपारी मिली थी और एडवांस में 55 हजार रुपए की रकम भी दी गई थी। तांत्रिक की निशानदेही पर अजय कोसरे को हिरासत में लिया गया। अजय कोसरे ने बताया कि बानबरद (नंदनी) निवासी इंद्रकुमार महिलांग (52 वर्ष) ने इस काम के लिए उसे एक लाख रुपये एडवांस दिए थे। जिसमें से 45 हजार रुपए उसने अपने पास रख 55 हजार रुपए तांत्रिक को दिए थे। इंद्रकुमार महिलांग ने बताया कि उसे 10 लाख रुपए की सुपारी कैलाश नगर (जामुल) निवासी अशोक कुमार मोर्य ने दी थी।

आरोपी अशोक मोर्य और संजीव सिंह बिजनेस पार्टनर है और दोनों का जमीन खरीदी-बिक्री का काम करते है। अशोक का बिजनेस सहीं नहीं चल रहा था।। वहीं दूसरी तरफ संजीव का बिजनेस जोरदार चल रहा था। जिससे अशोक उससे जलन रखने लगा था और रास्ते से हटाने के लिए उसने सुपारी देने का प्लान बनाया।

पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ दफा 384, 386, 120 बी तथा टोहनी प्रताड़ना अधिनियम की धारा 7,8 के तहत जुर्म दर्ज किया है। इस मामले में आरोपियों तक पहुंचने में इंस्पेक्टर दुर्गेश कुमार शर्मा, एएसआई प्रमोद श्रीवास्तव, कांस्टेबल विकास तिवारी, जुनैद सिद्धिकी की अहम भूमिका रही।