भतीजी के साथ बदनीयती करने के आरोपी युवक को न्यायालय द्वारा ताउम्र कैद की सजा सुनाई गई है। गुरुवार को यह फैसला विशेष न्यायाधीश मधु तिवारी की अदालत में सुनाया गया है। अभियोजन की ओर से अति. लोक अभियोजक पुष्पारानी पाढ़ी ने पैरवी की थी।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। रिश्तें को कलंकित करन वाले इस कृत्य को नाबलिग से रिश्ते में मौसा लगने वाले सतीश चंद्रा (38 वर्ष) ने अंजाम दिया था। जानकारी के अनुसार 13 साल की नाबालिग 3 सितंबर 2016 को घर से लापता हो गई थी। जिसकी गुमशुदगी की रपट परिजनों द्वारा खुर्सीपार थाना में दर्ज कराई गई थी। 30 सितंबर 2016 को पुलिस ने पड़ताल के बाद नाबालिग को बपामद कर लिया था। नाबालिग ने पूछताछ में बताया कि उसे आरोपी सतीश चंद्रा घुमाने के नाम से मैत्रीबाग ले गया था। जिसके बहला फुसला कर बिलासपुर, भाठापार, सिवान (बिहार) ले गया। इस दौरान आरोपी द्वारा उसके साथ अनाचार भी किया गया। पुलिस ने आरोपी को दूसरे दिन गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जिसके बाद प्रकरण को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। प्रकरण पर विचारण पश्चात विशेष न्यायाधीश मधु तिवारी ने आरोपी को दोषी पाया। अभियुक्त सतीश को नाबालिग को बहला फुसला कर अपहृत करने की दफा 363 व 366 के तहत 5-5 वर्ष कारावास तथा नाबालिग से अनाचार करने की दफा 376(2)(एफ)(आई) के तहत जीवन भर की कैद से दंडित करने का फैसला सुनाया है। अभियुक्त पर 2000 रु. का अर्थदंड भी आरोपित किया गया है।