दुर्ग (छत्तीसगढ़)। नाबालिग किशोरी को पत्नी बनाकर रखना एक युवक काफी भारी पड़ा है। आरोपी को अदालत ने जिंदगी भर के कारावास से दंडित किए जाने का आदेश दिया है। साथ ही विभिन्न धाराओं के तहत कुल 11 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा पीड़िता को प्रतिकर राशि के रूप में 4 लाख रुपए प्रदान किए जाने का निर्देश भी अदालत ने दिया है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) डॉ. ममता भोजवानी की अदालत में आज सुनाया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक मोहम्मद अरशद खान ने पैरवी की थी।
मामला पुलगांव थाना क्षेत्र का है। पीड़ित 15 वर्षीय किशोरी का गांव के ही युवक वासु ढीमर (21 वर्ष) से परिचय था। परिचय प्रेम प्रसंग में बदल गया। 26 जनवरी 2019 की शाम किशोरी घर से लापता हो गई थी। परिजनों द्वारा पूछताछ करने पर किशोरी को आरोपी वासु द्वारा भगाकर साथ ले जाने की जानकारी मिली। जिसके बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। पुलिस ने जुर्म दर्ज कर किशोरी की पड़ताल करने पर उसके रायपुर के कुशालपुर में होने की जानकारी मिली। पुलिस ने लगभग डेढ़ माह बाद परिजनों के साथ जाकर किशोरी को आरोपी कब्जें से बरामद किया। किशोरी द्वारा युवक को बतौर पत्नी साथ रखने और शारीरिक संबंध बनाए जाने की जानकारी देने पर मिलने पर पुलिस ने आरोपी युवक के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई कर उसे जेल भेज दिया था। विवेचना पश्चात प्रकरण को विचारण के लिए अदालत के समक्ष पेश किया गया था।
युवक को माता-पिता ने दी थी समझाइश
आरोपी युवक किशोरी को सबसे पहले अपने घर ले गया। जहां उसके माता-पिता ने इस पर एतराज जताया और किशोरी को उसके घर वापस छोड़ने की हिदायत दी थी। जिसको लेकर विवाद हुआ। जिसके बाद आरोपी किशोरी को रायपुर अपने जीजा यहां ले गया। जिसके कुछ दिनों बाद कुशालपुर में मकान किराए पर लेकर दोनों साथ रहने लगे थे। जहां से पुलिस ने उन्हें 24 मार्च 2019 को बरामद किया था।
बचाव पक्ष की दलील नहीं आई काम
प्रकरण पर विचारण के दौरान किशोरी ने अपनी सहमति से युवक साथ जाने और शारीरिक संबंध बनाने की जानकारी अदालत के समक्ष दी थी। वहीं घर से 15 हजार रुपए की नगदी साथ ले जाने का खुलासा भी हुआ था। इस दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि किशोरी किराए के घर में कई बार अकेली भी रहती इस दौरान उसने कभी भी अपने परिजनों से फोन पर संपर्क स्थापित करने का प्रयास नहीं किया। इसे आधार बनाकर बचाव पक्ष ने दलील दी थी कि इस पूरे मामले में पीड़िता की सहमति रही है। जिससे आरोपी पर दोष सिद्ध नहीं होता। बचाव पक्ष की इस दलील को पीड़िता के 16 वर्ष की आयु से कम होने के मद्देनजर अमान्य कर दिया। अदालत ने कहा कि किशोरी नाबालिग है और उसकी आयु 16 वर्ष से कम है, इस स्थिति में उसकी सहमति का कोई औचित्य नहीं रह जाता।
अदालत ने सुनाई जिंदगी भर कैद की सजा
प्रकरण पर विचारण पश्चात विशेष न्यायाधीश डॉ ममता भोजवानी ने आरोपी को दोषी करार दिया। प्रकरण के अभियुक्त वासु ढीमर (21 वर्ष) को दफा 376(3) के तहत जिंदगी भर की कैद और 5 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया। साथ ही दफा 363 के तहत 3 वर्ष कारावास व 2 हजार रुपए अर्थदण्ड व दफा 366 के तहत 5 वर्ष कारावास व 4 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है।
