कोरोना संक्रमण, अभिषेक मिश्रा हत्याकांड़ पर टला फैसला, डीजे ने एतिहायत बरतने के दिए निर्देश

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। ट्विन सिटी के बहुचर्चित हत्याकांड अभिषेक मिश्रा हत्याकांड पर आज बुधवार को फैसला नहीं सुनाया जा सका। माना जा रहा है कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए यह स्थिति निर्मित हुई है। अब इस प्रकरण पर 9 अप्रैल को फैसला सुनाया जाएगा। वहीं जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव ने कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लिए न्यायालय परिसर में कोविड़-19 गाइडलाइन का पालन सख्ती से किए जाने का आदेश मंगलवार को जारी किया गया है। जिसके अनुसार न्यायालयों में केवल गंभीर आपराधिक प्रकरणों की ही सुनवाई की जाएगी। यह आदेश 9 अप्रैल तक लागू रहेगा।
बता दें कि वर्ष 2015 में गंगाजली एज्युकेशन सोसायटी के डायरेक्टर अभिषेक मिश्रा की हत्या के मामले में आज 31 मार्च को फैसले की तारीख मुकर्रर की गई थी। इस मामले में पुलगांव पुलिस द्वारा अभिषेक मिश्रा की पूर्व कर्मी किम्सी (कंबोज) जैन के साथ उसके पति विकास जैन, चाचा अजीत सिंह को गिरफ्तार किया गया था। तीनों ही आरोपी गिरफ्तारी के बाद से जेल में ही निरुद्ध है। प्रकरण पर विचारण जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में किया जा रहा है। पिछली 19 मार्च को अदालत में शासकीय व बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं की अंतिम जिरह के बाद फैसले की तारीख 31 मार्च निर्धारित की गई थी। इस तिथि को स्थगित कर अगली तिथि 9 अप्रैल निर्धारित की गई है।
इससे पहले जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव ने मंगलवार को विविध आदेश जारी किए है। आदेश में जिले में बढ़ते कोरोना संक्रमण के आंकड़ों व दुर्ग न्यायालय में पदस्थ 4 न्यायायिक अधिकारी व 8 कर्मचारियों के पिछले 15 दिनों में कोरोना संक्रमित होने का हवाला देते हुए कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन किए जाने का निर्देश दिया है। निर्देश में कहा गया है कि न्यायालय परिसर में पक्षकार व अधिवक्ता गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे है। यदि भविष्य में इसी प्रकार की लापरवाही बरती जाती है तो संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इन प्रकरणों पर होगी सुनवाई
जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने आदेश में निर्देशित किया है कि सभी न्यायालयों में ऐसे आपराधिक प्रकरणों की सुनवाई की जाए, जिसमें साक्ष्य के लिए समंस जारी किया गया है और साक्षी उपस्थित हो। जिसमें आरोपी अभिरक्षा में हो। प्रकरण 5 वर्षो से अधिक समय से लंबित हो, सभी रिविजन प्रकरण और 3 माह से अधिक समय से लंबित अपील प्रकरण, नवीन संस्थित आपराधिक व व्यवहार प्रकरणों की सुनवाई की जाएगी।
अदालतों में जमावड़ा पर प्रतिबंध
आदेश में कहा गया है कि किसी भी न्यायालय में एक से अधिक अधिवक्ता प्रवेश नहीं करेंगे। साक्षी के 12.30 बजे तक उपस्थित नहीं होने पर तत्काल आगामी तिथि निर्धारित की जाएगी। अदालतों के सामने 5 से अधिक पक्षकारों का जमाव नहीं किया जाएगा।
की जाएगी कठोर कार्रवाई
आदेश में इन निर्देशों का उल्लंघन किए जाने पर पक्षकार व अधिवक्ता के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। गाइडलाइन का उल्लंघन करने वालें अधिवक्ता या पक्षकार के विरुद्ध महामारी एक्ट अथवा आईपीसी की धारा 269, 270 केतहत कार्रवाई की जाएगी।