रावलमल जैन हत्याकांड़, अभियोजन द्वारा गवाह को पक्षद्रोही किए जाने पर बचाव पक्ष की आपत्ति अमान्य

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। शहर के बुहचर्चित रावलमल जैन दंपत्ति हत्याकांड पर आज न्यायाधीश हरीश कुमार अवस्थी की अदालत में सुनवाई हुई। प्रकरण में अभियोजन पक्ष द्वारा गवाह को अपने पूर्व के बयान से पलटने के मद्देनजर पक्षद्रोही घोषित किए जाने पर बचाव पक्ष द्वारा प्रस्तुत लिखित आपत्ति पर विचार किया गया। विचार पश्चात न्यायाधीश हरीश कुमार अवस्थी की अदालत में अदालत ने इस आपत्ति को अमान्य कर दिया। आपत्ति बचाव पक्ष के अधिवक्ता तारेन्द्र जैन ने प्रस्तुत की थी। सुनवाई को दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुरेश चंद्र शर्मा उपस्थित थे।
याद दिला दें कि 1 जनवरी 2018 की सवेरे शहर के प्रतिष्ठित समाजसेवी रावलमल जैन व उनकी पत्नी सुरजी देवी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में पुलिस द्वारा रावलमल जैन के पुत्र संदीप जैन को अपने माता-पिता की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। प्रकरण पर विचारण न्यायालय में जारी है।
बता दें कि प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से अभियुक्त संदीप जैन के भांजे सौरभ गोलछा को गवाह बनाया गया था। गवाह सौरभ गोलछा हाइकोर्ट के आदेश पर स्पष्टीकरण के लिए पुन:परीक्षण किया गया था। जिसमें सौरभ ने बताया कि इस तथ्य से इंकार किया कि आरोपी संदीप के कमरे का दरवाजा लुढका हुआ था और वह धक्का देकर अंदर घुसा था। साथ ही उसने बताया कि मौके से एक जालीदार टोपी मिली थी। इसके अलावा यह भी बताया कि पुलिस अधिकारी भावेश साव मौके से 74 लाख रुपए की रकम को साथ ले गए थे। उसने कहा कि इस संबंध में पुलिस को जानकारी दी गई थी, लेकिन इस संबंध में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से कोई रिपोर्ट की थी और नहीं हाइकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की है।
विशेष लोक अभियोजक सुरेश चंद्र शर्मा ने न्यायालय को बताया था कि गवाह ने आरोपी के कमरे का बाहर से सांकल लगा होना बताया है, जबकि द.प्र.सं. 161 के बयान में आरोपी संदीप जैन का दरवाजा बाहर से लुढका हुआ बताया गया है और उसे धक्का देकर ्ंदर जाना बताया है। इस बिंदू पर गवाह सौरभ गोलछा को पक्षद्रोही घोषित करते हुए सूचक प्रश्न पूछे जाने की अनुमति मांगी थी। जिस पर बचाव पक्ष के अधिवक्ता तारेन्द्र जैन द्वारा आपत्ति व्यक्त करते हुए लिखित में जवाब देने की बात कही थी। जिस पर न्यायालय ने लिखित जवाब प्रस्तुत करने के लिए 16 फरवरी तक का समय दिया गया था।
16 फरवरी को बचाव पक्ष की ओर से लिखित जवाब पेश किया गया। जिसमें बताया गया कि गवाह का पूर्व में मुख्य परीक्षण व प्रतिपरीक्षण हो चुका है। हाइकोर्ट ने एविडेंस एक्ट (साक्ष्य अधिनियम) 137 के तहत गवाह का पुन: परीक्षण किए जाने की अनुमति दी है। इसमें दिए गए प्रावधानों के अनुसार पुन:परीक्षण के पश्चात गवाह को पक्षद्रोही नहीं किया जा सकता। बचाव पक्ष द्वारा प्रस्तुत इस आपत्ति को न्यायालय द्वारा अमान्य कर दिया गया।