दुर्ग (छत्तीसगढ़)। नालसा की नशा मुक्ति योजना के प्रति जागरुक करने के लिए रविवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्व के मार्गदर्शन व निर्देश पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में वक्ताओं ने कहा कि नशा न सिर्फ व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है वरन समाज को भी प्रभावित करता है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के सहयोग से नशा मुक्ति एवं तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत आयोजित इस कार्यशाला में कोटपा कानून के संबंध में विशेष रुप से जानकारी दी गई। कार्यशाला में व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 प्रशांत कुमार देवांगन, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव राहुल शर्मा, सीएसपी विवेक शुक्ला, सीएचएमओ डॉ. गंभीर सिंह ठाकुर मुख्य अतिथि के रुप में कार्यशाला में उपस्थित थे।
कार्यशाला में न्यायाधीश प्रशांत देवांगन ने कोटपा अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के लिए पुलिस अधिकारियों को मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने बताया कि सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पादन (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्यिक उत्पादन प्रदाय और वितरण) का विनियम अधिनियम 2003 के तहत अपराध है। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान करने पर 200 रुपये का जुर्माना, सिगरेट तथा किसी अन्य तंबाकू के विज्ञापन का निषेध जिसमें 1000 रुपये का जुर्माना, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सिगरेट व तंबाकू सामग्री का विक्रय करने पर 200 रुपये जुर्माना, शैक्षणीक संस्थानों के 100 गज के अवधि में ऐसे सामानों की बिक्री पर 200 रुपये जुर्माना तथा तंबाकू उत्पादों के पैकिंग पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी उल्लेखित ना नहीं होने पर 5000 रुपये का जुर्माना और दो वर्ष के कारावास का प्रावधान है।
विधिक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव राहुल शर्मा ने नालसा उन्मूलन संबंधित के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि नशा व्यक्तिगत के साथ-साथ समाज में भी बुरा प्रभाव डालता है। मोटर दुर्घटना के अधिकांश मामले में नशे की हालत में गाड़ी चलाने के कारण ही होती है। समाज में युवा वर्ग वर्तमान परिस्थिति में नशे की ओर आकर्षित होते हैं। कई जगह पर अनुचित रूप से हुक्का बार भी चलाया जाता है। जिसमें युवा वर्ग की भागीदारी ज्यादा रहती है। जो उनके भविष्य को अंधकार में डाल देती है तथा समाज में उसका बुरा प्रभाव पड़ता है। परिवार में नशा करने वाला व्यक्ति का परिवार टूटने लगता है तथा बिखर जाता है। घरेलू हिंसा का एक मुख्य कारण नशा भी है।
सीएसपी विवेक शुक्ला ने बताया कि नशा किसी भी प्रकार का हो एक सामाजिक अभिशाप है। नशा आरंभ करने के बाद उसकी लत बढ़ती जाती है। इसलिए बेहतर यही है कि नशा किया ही न जाए। नशा एक ऐसी बुराई है जिससे इंसान समय से पहले मौत का शिकार हो जाता है। जहरीले नशीले पदार्थों के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक मानसिक और आर्थिक हानि होती है। ऐसे व्यक्ति समाज में हेय दृष्टि से देखे जाते है। वह नशे से अपराध की ओर अग्रसर हो कर शांतिपूर्ण समाज के लिए अभिशाप है। आजकल बच्चे, किशोर, युवा, वयस्क, वृद्ध सभी नशे की चपेट में है। इस अभिशाप से समय रहते मुक्ति पा लेने में ही मानव समाज की भलाई है। कार्यशाला में पुलिस विभाग के अधिकारी, एनजीओ तथा पैरालीगल वालंटियर ने भी शिरकत दी।
