नए साल के आगमन पर अंबानी अडानी उत्पादों के वहिष्कार का संकल्प लेंगे छत्तीसगढ़ के किसान

रायपुर (छत्तीसगढ़)। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में छत्तीसगढ़ में भी आंदोलन को तेज किया जाएगा। इसके लिए नए साल के पहले दिन किसान प्रदेश भर में संकल्प लेंगे। साथ ही अंबानी और अडानी के उत्पादों व सेवाओं का वहिष्कार किए जाने की शपथ भी किसानों द्वारा ली जाएगी।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के देशव्यापी आह्वान पर यह संकल्प लिए जाने का निर्णय लिया गया है।
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने आज यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देशव्यापी किसान आंदोलन के दबाव में सरकार दो मांगें मानने पर मजबूर हुई है, लेकिन काले कानूनों की वापसी तक यह आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में गांव-गांव में शपथ कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें किसान अपनी खेती-किसानी को बचाने और देश की अर्थव्यवस्था के कार्पोरेटीकरण को रोकने के लिए देशव्यापी किसान संघर्ष में अपने को स्वयंसेवक के रूप में समर्पित करने की और इस आंदोलन को तब तक जारी रखने की शपथ लेंगे, जब तक कि मोदी सरकार किसान विरोधी कानूनों और कृषि विरोधी नीतियों को वापस लेने की ठोस घोषणा नहीं करती।
किसान आंदोलन के नेता आलोक शुक्ला, नंद कश्यप, आनंद मिश्रा आदि ने आशा व्यक्त की है कि अगली बैठक में किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने और सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का कानून बनाने की घोषणा की जाएगी। उन्होंने कहा कि देश के किसानों का आम अनुभव है कि उनकी फसलों को औने-पौने भाव पर लूटा जा रहा है और उन्हें कोई कानूनी सुरक्षा प्राप्त नहीं है। मंडियों के निजीकरण और ठेका खेती से यह लूट और बढ़ेगी। इसलिए देश का किसान आंदोलन इसका विरोध कर रहा है। वह अडानी-अंबानी को देश के खाद्यान्न भंडार और अनाज व्यापार सौंपने का विरोध कर रहा है, क्योंकि इससे देश में जमाखोरी, कालाबाज़ारी और महंगाई तेजी से बढ़ेगी। उन्हें अपनी मेहनत का मूल्य पाने के लिए कानूनी संरक्षण की जरूरत है, इसलिए वे स्वामीनाथन आयोग के सी-2 फार्मूले के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून के दायरे में लाना चाहते हैं। इन तीनों काले कानूनों की वापसी और एमएसपी के कानून बनाने में सीधा रिश्ता है।
किसान आंदोलन के नेताओं ने कहा कि यह देशव्यापी किसान आंदोलन आज़ादी के बाद का सबसे प्रखर, लोकतांत्रिक और मोदी सरकार के उकसावे के बावजूद सबसे ज्यादा शांतिपूर्ण आंदोलन है। इस आंदोलन का फैलाव देश के सभी राज्यों में हो गया है और सभी भाषा, धर्म, जातियों के लोग इसमें शामिल है। इसलिए मोदी सरकार को देश के किसानों की आवाज सुनने की जरूरत है।
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े सभी घटक संगठन कल इस शपथ कार्यक्रम को आयोजित करेंगे। इसके बाद आम सभाएं भी की जाएगी, जिसके जरिये ग्रामीणों को तीनों काले कानूनों के बारे में तथा इस आंदोलन और इसकी मांगों के बारे में बताया जाएगा।