दुर्ग (छत्तीसगढ़)। शहर के शनिचरी बाजार स्थित ऐतिहासिक श्री लंगूरवीर मंदिर का जीर्णोंद्वार के बाद स्वरूप बदल गया है। मंदिर को प्राचीन इतिहास के अनुरूप भव्य स्वरूप देने के लिए नए निर्माण के साथ 128 फीट का गुंबद बनाया गया है। मुख्य व 8 अन्य गुंंबदों पर 23 जून को शिखर कलश चढ़ाया जाएगा। इस अवसर पर श्री लंगूरवीर मंदिर समिति द्वारा दो दिवसीय शिखर कलश चढ़ावा कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसकी शुरूआत 22 जून को पूजा अर्चना के साथ होगी। 23 जून को पूर्णाहूति के बाद शुभ मुहूर्त में दोपहर डेढ़ बजे शिखर कलश को गुंबदों में चढ़ाया जाएगा। मंदिर समिति द्वारा पीतल धातु के 9 शिखर कलश तैयार करवाए गए हैं। 3 फीट का आर्कषक शिखर कलश मंदिर के मुख्य गुंबद में और अन्य गुंबदों में छोटे कलश चढ़ाए जाएंगे। यह शिखर कलश चढ़ावा धार्मिक कार्यक्रम 21 विद्वान पंडितों के सानिध्य में पूरे विधि विधान के साथ कराए जाएंगे। कार्यक्रम में गृहमंत्री, विधायकों, महापौर, राजनीतिक दलों के नेताओं और सामाजिक व धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा श्रद्धालुगणों को आमंत्रित किया गया।
श्री लंगूरवीर मंदिर समिति के सदस्य मानव सोनकर व मुख्य पुजारी अशोक त्रिपाठी ने बताया कि यह दो दिवसीय शिखर कलश चढ़ावा कार्यक्रम कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिंग व शासन के अन्य निर्देशों का पालन करते हुए आयोजित किए जाएंगे। जिसके चलते मंदिर द्वारा सेनिटाइजर की व्यवस्था व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुनिश्चित करवाने मंदिर परिवार व प्रांगण में गोले तैयार करवाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर का प्राचीन इतिहास है। जिससे लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। पिछले 30 वर्षों से मंदिर में जन सहयोग से जीर्णोद्वार का कार्य चल रहा है। वर्तमान में मंदिर का आराधना कक्ष, गुंबद व बाहरी हिस्सा बनकर तैयार हो गया है। जिससे मंदिर की भव्यता अब पहले से ज्यादा बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि मंदिर और भगवान लंगूरवीर को लेकर प्राचीन मान्यताएं भी है। कार्यक्रम को भव्य रूप देने की तैयारियों में श्री लंगूरवीर मंदिर जीर्णोंद्वार समिति के संयोजक डॉ गोविंद प्रसाद दीक्षित, ट्रस्टी मुन्नालाल सार्वा, चिंताराम सोनकर, शिवम गुप्ता, युवराज सार्वा, राहुल सोनकर, पप्पू तिवारी व अन्य सदस्य जुटे हुए हैं।