रायपुर (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खरीफ फसलों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए खुले में पशुओं की चराई की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए ‘रोका-छेका‘ के क्रियान्वयन के निर्देश दिए हैं। रोका-छेका के लिए प्रदेश में जिला पंचायतों मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के मार्गदर्शन में गांव एवं गौठान समितियों की बैठकों के आयोजन का सिलसिला शुरू हो चुका है। पशुओं के रोका-छेका एवं गांवों में उनके उचित प्रबंधन के लिए 19 से 30 जून तक बैठकों का आयोजन कर निर्णय लिया जाएगा। इस दौरान बैठक आहूत कर गांव-गांव में पशुओं की खुले में चराई पर रोक लगाने के साथ ही गौठानों में पशुओं के चारे-पानी की व्यवस्था के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया जाएगा।
बस्तर जिले में गौठान समिति की बैठक में ग्रामीणों को बताया गया कि ग्राम पंचायत सीमा के भीतर निर्मित गौठानों में 19 जून को विभिन्न गतिविधियां संचालित की जाएगी, जिसमें ग्रामों में ‘रोका-छेंका‘ की योजना का क्रियान्वयन, जहां ग्राम गौठान समिति का गठन नहीं है वहां पर समिति का गठन, गौठानों में उत्पादित कम्पोस्ट खाद का वितरण, स्व-सहायता समूहों के द्वारा उत्पादित सामग्री का प्रदर्शन जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। गौठानों में पशु चिकित्सा तथा पशु स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर पशुओं का टीकाकरण कराया जाएगा। ग्रामीणों एवं किसानों को पशुपालन, मछलीपालन एवं कृषि आधारित आयमूलक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही शासन की विभिन्न योजनाओं की जानकारी देकर उन्हें इसका लाभा उठाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। जन सहयोग से गौठानों में पैरा संग्रहण एवं भण्डारण की भी मुहिम शुरू होगी, ताकि गौठानों में पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था हो सके। रोका-छेका अभियान का उद्देश्य फसलों, बाड़ियों, उद्यानों की सुरक्षा के साथ-साथ पशुओं का रख-रखाव एवं प्रबंधन किया जाना है।