गुलमोहर के पेड़ों से गुलजार होगीं शहर की प्रमुख सड़के, केवीके में तैयार किए जा रहे 30 हजार पौधे

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। महात्मा गांधी नरेगा तहत केवीके में 30 हजार गुलमोहर के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इनके फूलों से बिखरी सड़कें सुंदर लगती हैं। गुलमोहर को बढ़ाने की जिला प्रशासन की पहल निकट भविष्य में दुर्ग जिले की सारी प्रमुख सड़कों में भी यही नजारा दिखेगा और यहां के नागरिकों के लिए यह नजारा इतना करीब होगा कि अपने लैपटाप या डेस्कटाप के लिए किसी स्क्रीन सेवर की जरूरत नहीं होगी। वे अपने मोबाइल से ही दूर तक सड़कों में फैली गुलमोहर की सुंदरता का आनंद लेते हुए अपने सिस्टम के स्क्रीन सेवर के लिए इसके फोटोग्राफ ले सकेगें।
जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे ने महत्वपूर्ण महात्मा गांधी नरेगा तहत केवीके में 30 हजार तैयार कर सड़को पर गुलमोहर के पौधे लगाने निर्देशित किया है। जिसके अंतर्गत गुलमोहर के एक हजार पौधे केवीके में तैयार हो रहे हैं। आपको बता दें कि यह गुलमोहर की पेल्टाफोरम प्रजाति के पौधे हैं। इन्हें रोपित करने ट्री गार्ड भी तैयार किए जा रहे हैं। पौधे जरूरत के मुताबिक ऊंचाई में आ जाने के बाद जिले की प्रमुख सड़कों में रोपित कर दिये जाएंगे। केवीके में यह ऐसी पौध तैयार हो रही है। जो पूरे जिले की सुंदरता को नये सिरे से गुलजार कर देगी। अधिकांश पेड़ों में फूल खिलते हैं लेकिन गुलमोहर में फूल ही फूल नजर आते हैं इतने की पत्तियां भी इनकी वजह से छिप जाती हैं। जिला प्रशासन की इस पहल से न केवल हरियाली का रास्ता खुलेगा अपितु सड़कें न्यूनतम निवेश के सुंदरता से गुलजार होंगी। गुलमोहर का पौधा तेजी से बढ़ता भी है। अप्रैल और मई के महीने में इसके फूलों से सड़कें बिछी रहती हैं।
गुलमोहर के पेड़ के साथ यह भी खास है कि यह न्यूनतम निवेश में अधिकतम सुंदरता की गारंटी करता है। सूखे मौसम में भी इसकी उत्तरजीविता रहती है क्योंकि यह मूलतः अफ्रीकन पौधा है। मूल रूप से यह पौधा स्ट्रीट ट्री ही कहलाता है। यही वजह है कि मेडागास्कर जैसे छोटे से द्वीप से यह पूरी दुनिया में फैल गया।
कलेक्टर कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पक्षियों के विषय पर भी अपनी बात कही थी। उन्होंने कहा कि हमारा दायित्व पशुपक्षियों के लिए भी है। उन्होंने फलदार पौधों के रोपण की बात कही ताकि पशुपक्षियों को भी उनके पर्यावास में ही पर्याप्त आहार मिल सके। गुलमोहर का पौधा पक्षियों के लिए आश्रय स्थल भी बनता है। कापर स्मिथ बार्बेटए ब्राउन हेडेड बार्बेट और मैना अपना घोंसला बनाने इसी पेड़ को चुनती हैं।

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