दुर्ग (छत्तीसगढ़)। बाजार में बिक रहे केमिकल युक्त साबुन की जगह एलोवीरा जैसे हर्बल तत्वों से साबुन बनाने वाली बिहान की दीदियों के उत्पादों का बाजार विस्तारित हो रहा है। इनके एलोवीरा, चारकोल जैसे तत्वों वाले साबुन के बारे में जानकारी मिलने के बाद एक्सिस बैंक प्रबंधन ने जिले के सभी ब्राचों के लिए यह साबुन खरीदने का निर्णय लिया। एक्सिस बैंक के प्रबंधक संदेश देशकर ने बताया कि मुझे यह जानकारी मिली कि एलोवीरा, नींबू जैसे नैचुरल तत्वों से बिहान की महिलाएं साबुन बना रही हैं। ऐसा लगा कि यह महिलाएं आत्मनिर्भर तो हो ही रही हैं वे नये कांसेप्ट को लेकर आगे बढ़ी हैं। इसलिए इन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। हमने आज अपने ब्रांचों के लिए 25 सौ रुपए का साबुन खरीदा। जैसे ही जरूरत पड़ेगी, फिर से खरीदेंगे। उन्होंने बताया कि बिहान में बड़ी अच्छी ट्रेनिंग दी जा रही हैं। ये महिलाएं केवल वस्तुएं ही तैयार नहीं कर रहीं। इनके बाजार की नब्ज पर भी पकड़ है। अभी लोग हर्बल ट्राई कर रहे हैं जो त्वचा के लिए ज्यादा कोमल होता है।
जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि बिहान की महिलाएं साबुन बना रही हैं और उन्हें इसे बेचने में अच्छी सफलता मिल रही है। काफी सारे लोग इनसे उत्पादों के बारे में पूछ रहे हैं। उन्होंने बताया कि अस्पतालों में, पंचायतों में इनके द्वारा बनाये गए साबुनों का प्रयोग हो रहा है। लाकडाउन के दौरान इन्होंने बड़ी मेहनत की। सीईओ ने बताया कि इन्हें ट्रेनिंग भी दी जा रही है और बाजार से लिंक करने की कोशिश भी की जा रही है। जिस तरह का रिस्पांस मिल रहा है वो बहुत अच्छा है। महिलाओं ने प्रोडक्ट बनाने में और इसे बेहतर गुणवत्तापूर्ण बनाने में बड़ी मेहनत की है।
जय मां संतोषी स्वसहायता समूह की अध्यक्ष लक्ष्मी सिंगौर ने बताया कि हम लोग सांकरा के आजीविका केंद्र में इसे तैयार कर रहे हैं। हमने इसका पूरा प्रशिक्षण लिया है। जिला पंचायत द्वारा हमें लगातार मार्गदर्शन दिया जाता है। साथ ही हमारे उत्पादों को बाजार दिलाने के लिए प्रशासन ने काफी काम किया है। श्रीमती सिंगौर बताती हैं कि हमें बहुत अच्छा लगता है जब दूरदराज से भी फोन आते हैं और हमारे हर्बल उत्पादों के बारे में जानकारी लेते हैं। अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरह का फ्लेवर पसंद आता है किसी को जैस्मीन, किसी को एलोवीरा, किसी को गुलाब। हमारी कोशिश होती है कि हम गुणवत्तापूर्वक उत्पाद उपलब्ध कराएं। आज से कुछ समय पहले हमारे लिए सोच पाना भी कठिन था कि हम साबुन बना पाएंगे। अब तो हमारे द्वारा बनाया साबुन पंचायत में काम आता है। उल्लेखनीय है कि लगातार सैनिटाइजेशन पर जोर, हाथ धोये जाने पर जोर, मनरेगा में काम के दौरान हाथ नियमित रूप से धुलाने पर जोर देने से साबुन का उपयोग बढ़ा है। ऐसे में बिहान के महिलाओं की मेहनत उनके गांवों में ही खप जा रही है और बाहर भी बड़ा बाजार उनके लिए खुल गया है।