महिला बाल विकास विभाग के सचिव आर.प्रसन्ना ने अधिकारियों की ली बैठक, कहा कुपोषण मुक्ति की दिशा में करे कार्य

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कलेक्टर कॉन्फ्रेंस के दौरान कुपोषण की समस्या को लेकर अधिकारियों से देर तक चर्चा की थी और इसे प्राथमिकता वाला कार्य बताया था। इसके पश्चात मुख्य सचिव आर.पी मंडल ने बताया कि विभाग के नए सचिव आर.प्रसन्ना ने पदभार ग्रहण करते ही सबसे पहले बस्तर के जिलों का दौरा किया और वहां पूरे काम की समीक्षा की।
इस अहम अभियान को ऊर्जा देने सचिव प्रसन्ना आज दुर्ग जिले पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सुपोषण अभियान शासन की प्राथमिकता है। इसे युद्धस्तर पर क्रियान्वित करना है। इसके लिए तय कार्यक्रम के अनुसार काम तो करना ही है बच्चों में स्वास्थ्यवर्धक आदतें विकसित करने की दिशा में भी काम करना है। उदाहरण के लिए मुख्यमंत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी में ही बच्चों को नियमित हाथ धुलायें। उन्हें हाथ धुलाने का तरीका सिखाएं। यह बच्चों को खेल लगेगा और उनकी आदत में शुमार हो जाएगा। इस तरह की अच्छी आदत से डायरिया जैसी बीमारियों की आशंका घट जाएगी जिससे कुपोषण की दर बढ़ जाने की हमेशा आशंका बनी रहती है। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने दुर्ग जिले में इस संबंध में किये जा रहे नवाचारों की जानकारी दी। डॉ. भूरे ने बताया कि डीएमएफ के माध्यम से कुपोषित बच्चों के पोषण की विशेष व्यवस्था की गई। कुपोषित बच्चों की विशेष मोनिटरिंग की जा रही है और उसके लिए सिस्टम तैयार किया गया है।
सचिव ने विभागीय बैठक लेकर जिले में सुपोषण अभियान के अंतर्गत बच्चों में कुपोषण की दर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ संयुक्त रूप से अभियान चलाने कहा। उन्होंने बैठक में जिले में योजना के संचालन व क्रियान्वयन की जानकारी लेकर सर्वोत्तम रूप से काम करने कहा। योजना का उद्देश्य बताते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य की गर्भवती माता, शिशुवती माता और बच्चों को स्वस्थ और सुपोषित बनाने के उद्देश्य से यह योजना आरम्भ की। इसके परिणाम स्वरूप दूरस्थ और पिछड़े इलाकों में भी कुपोषण की दर में कमी आयी है। योजना का क्रियान्वयन और बेहतर होने से आने वाले समय मे कुपोषण मुक्त राज्य बनाने में कामयाबी मिल सकती है। । उन्होंने महिला बाल विकास की अनेक योजनाओं के वित्तीय लक्ष्य और उपलब्धि की भी जानकारी ली। बैठक में विशेषकर मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की चर्चा की गई जिसमें मुख्य रूप से बच्चों को प्रदाय किये जा रहे अतिरिक्त पोषण आहार उसकी मात्रा एवं गुणवत्ता के बारे में परियोजना अधिकारियों को निर्देशित किया गया। कुपोषित बच्चों एवं एनीमिक महिलाओं को प्रतिदिन प्रदाय किए जाने वाले गर्म भोजन का निरीक्षण एवं मध्यम/गंभीर कुपोषित बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान देने हेतु दिशा-निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को जनसमुदाय से जोड़ने एवं उनकी सहभागिता हेतु समय-समय पर ब्लाॅक एवं ग्राम स्तर पर गतिविधियों के आयोजन हेतु निर्देशित किया गया। गृहभेंट के माध्यम से एवं आंगनबाड़ी में कुपोषित बच्चों के परिजनों को बुलाकर पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता की जानकारी देने एवं उन्हें पोषण आहार में सुधार हेतु जागरूकता लाने निर्देशित किया गया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के साथ समन्वय करते हुए, पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देने हेतु विभिन्न आयोजन कराने को निर्देशित किया गया। एनीमिक महिलाओं एवं गंभीर कुपोषित बच्चों के लिए विशेष अभियान चलाकर कुपोषण के स्तर में कमी लाने हेतु निर्देशित किया गया। जिले के ग्रामीण क्षेत्रांतर्गत सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में स्वच्छ जल एवं शौचालय की उपलब्धता हेतु परियोजना अधिकारियों से सूची मंगाई गई, ताकि आंगनबाड़ी केन्द्रों में स्वच्छ जल एवं शौचालय की उपलब्धता हेतु परियोजना अधिकारियों से सूची मंगाई गई, ताकि आंगनबाड़ी केन्द्रों में समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराई जा सके। मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत दुर्ग को जिन आंगनबाड़ी केन्द्रों में इलेक्ट्राॅनिक वजन मशीन की उपलब्धता नहीं है, उन केन्द्रों में समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया। साथ ही गर्भवती/शिशुवती माता एवं कुपोषित बच्चों के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर यथासंभव अतिरिक्त पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने निर्देशित किया गया। बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत एस आलोक, डीपीओ विपिन जैन सहित समस्त परियोजना अधिकारी उपस्थित थे।

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