रायपुर।
Chhattisgarh medical PG zero year: छत्तीसगढ़ में मेडिकल स्नातकोत्तर (PG) प्रवेश प्रक्रिया इस समय गहरे असमंजस में फंसी हुई है। काउंसलिंग शुरू हुए करीब तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन बार-बार बदले गए नियमों के कारण अब तक प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है। विपक्षी कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो इस साल मेडिकल PG में ‘जीरो ईयर’ जैसी गंभीर स्थिति बन सकती है।
नियम बदले, काउंसलिंग अटकी
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चिकित्सा प्रकोष्ठ अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि Chhattisgarh medical PG admission के दौरान नियमों में बार-बार संशोधन किया गया।
इसके चलते छात्रों में भ्रम फैला और पूरी काउंसलिंग प्रक्रिया ठप हो गई। हालात इतने बिगड़ गए कि मामला सुप्रीम कोर्ट और बिलासपुर हाईकोर्ट तक पहुंच गया।
कांग्रेस का आरोप है कि प्रशासनिक अस्थिरता का सीधा नुकसान उन मेडिकल छात्रों को उठाना पड़ रहा है, जिन्होंने वर्षों की मेहनत के बाद PG में दाखिले का सपना देखा था।
राज्य कोटे की सीटों में कटौती पर विवाद
कांग्रेस के अनुसार, ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने राज्य कोटे की सीटों में बड़ा बदलाव किया।
पहले छत्तीसगढ़ से MBBS करने वाले छात्रों के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित थीं, जिन्हें घटाकर अब 25 प्रतिशत कर दिया गया है।
पार्टी का कहना है कि यह व्यवस्था देश के कई अन्य राज्यों से अलग है और इससे स्थानीय मेडिकल छात्रों के हितों को नुकसान पहुंचता है।
न्याय की उम्मीद में कोर्ट पहुंचे छात्र
डॉ. गुप्ता ने बताया कि इसी बदलाव के चलते कई छात्र न्याय की मांग को लेकर अदालत पहुंचे।
हालिया सुप्रीम कोर्ट सुनवाई में राज्य सरकार को हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की बात कही गई थी, लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि इसमें अब तक देरी हो रही है।
अगर यह याचिका जल्द दाखिल नहीं हुई, तो छात्रों को मार्च तक अगली सुनवाई का इंतजार करना पड़ सकता है, जिससे मेडिकल PG एडमिशन पूरी तरह ठप हो सकता है।
कांग्रेस की मांग: 50-50 फॉर्मूला लागू हो
कांग्रेस ने मांग की है कि छत्तीसगढ़ के मेडिकल छात्रों के लिए
- 50 प्रतिशत सीटें राज्य कोटे में सुरक्षित रहें
- और शेष 50 प्रतिशत सीटें ऑल इंडिया कोटे में जाएं
यह व्यवस्था देश के कई राज्यों में पहले से लागू है। पार्टी का कहना है कि समय रहते फैसला नहीं लिया गया, तो इसका असर केवल छात्रों पर ही नहीं, बल्कि भविष्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी पड़ेगा।
नए नियमों से बढ़ी उलझन
हाल ही में राज्य सरकार ने मेडिकल स्नातकोत्तर प्रवेश नियम 2025 में संशोधन का गजट नोटिफिकेशन जारी किया। इसके बाद
- राज्य कोटे की सीटें 50% से घटकर 25% हो गईं
- निजी मेडिकल कॉलेजों (भिलाई और रायपुर) में सीटों के अनुपात को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है
इससे अधिकारी और छात्र—दोनों ही असमंजस में हैं।
समय पर फैसला नहीं हुआ तो बढ़ेगा संकट
कांग्रेस ने साफ किया है कि यह फिलहाल उसकी आशंका और आकलन है, लेकिन यदि सरकार ने जल्द हस्तक्षेप नहीं किया, तो मेडिकल PG की पढ़ाई का पूरा एक शैक्षणिक वर्ष प्रभावित हो सकता है।
ऐसी स्थिति में हजारों मेडिकल छात्रों का भविष्य अधर में लटक सकता है, जिसका असर आने वाले वर्षों में राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दिखेगा।
Chhattisgarh medical PG admission से जुड़ा यह विवाद अब केवल नियमों का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह छात्रों के भविष्य और राज्य की चिकित्सा व्यवस्था से जुड़ा गंभीर सवाल बन चुका है।
अब सबकी नजरें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।
