हिंदू युवक दीपु चंद्र दास की लिंचिंग से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर फिर सवाल

Bangladesh Minority Violence एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रमुख छात्र आंदोलन नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा के बीच मयमनसिंह में एक हिंदू युवक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है।


⚠️ कैसे हुई दीपु चंद्र दास की लिंचिंग?

मृतक की पहचान दीपु चंद्र दास के रूप में हुई है, जो मयमनसिंह की एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करता था। आरोप है कि उसे इस्लाम का अपमान करने के संदेह में गुरुवार रात एक उग्र भीड़ ने घेर लिया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार—

  • दीपु को बेरहमी से पीटा गया
  • फिर शव को पेड़ से बांधा गया
  • उसके बाद केरोसिन डालकर जला दिया गया

इस क्रूरता के बाद भीड़ के कुछ लोग जश्न मनाते देखे गए।


😢 पिता की टूटी आवाज़

दीपु के पिता रवीलाल दास ने NDTV से बात करते हुए कहा—

“मुझे अपने बेटे की मौत की खबर फेसबुक से मिली। पहले किसी ने बताया कि उसे बहुत पीटा गया है, फिर आधे घंटे बाद पता चला कि उसे पेड़ से बांध दिया गया है।”

उन्होंने आगे कहा—

“उसे जला दिया गया। जला हुआ शरीर बाहर पड़ा था। यह सोचकर ही रूह कांप जाती है।”

उनका कहना है कि अब तक सरकार की ओर से उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला


🚔 सरकार की प्रतिक्रिया और गिरफ्तारियां

अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने घटना की निंदा की है और कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
पुलिस ने अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है, हालांकि पीड़ित परिवार का कहना है कि न्याय की राह अभी लंबी है


🧩 अल्पसंख्यकों पर बढ़ता खतरा

विशेषज्ञों का मानना है कि हादी की हत्या ने कट्टरपंथी संगठनों को फिर से सड़कों पर ला दिया है। इसका सीधा असर—

  • हिंदू
  • ईसाई
  • बौद्ध समुदाय

पर पड़ रहा है, जो पहले से ही असुरक्षा के माहौल में जी रहे हैं।


🗣️ पूर्व मंत्री मोहम्मद अली अराफात का आरोप

पूर्व सूचना मंत्री मोहम्मद अली अराफात ने कहा कि हादी के समर्थन में हुए प्रदर्शन—

“धीरे-धीरे जिहादी और कट्टरपंथी ताकतों के कब्जे में चले गए।”

उन्होंने दावा किया कि—

  • अल-कायदा से जुड़े तत्व मंच पर दिखे
  • कुछ समूहों ने ISIS के झंडे लहराए
  • ढाका के धानमंडी-32 स्थित ऐतिहासिक भवन को फिर निशाना बनाया गया

🇮🇳 भारत से भी तीखी प्रतिक्रिया

भारत में भी इस घटना को लेकर चिंता जताई गई। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसे—

“बेहद चिंताजनक और अमानवीय”

बताते हुए भारत सरकार से अपील की कि वह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा कूटनीतिक स्तर पर उठाए


Bangladesh Minority Violence अब केवल आंतरिक कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं रह गया है। दीपु चंद्र दास की लिंचिंग यह सवाल खड़ा करती है कि क्या बांग्लादेश में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं?
हादी की मौत के बाद फैली हिंसा ने यह साफ कर दिया है कि यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।

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