दुर्ग।
Durg Police Fitness: पुलिस… जिसे समाज का रक्षक कहा जाता है। लेकिन जब यही रक्षक खुद शारीरिक रूप से कमजोर, बीमार और अनफिट नजर आने लगें, तो सवाल उठना लाज़मी है—क्या वे अपराधियों से प्रभावी मुकाबला कर पाएंगे?
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में बड़ी संख्या में ऐसे पुलिसकर्मी दिखाई दे रहे हैं, जिनका पेट बाहर निकला हुआ है, शरीर भारी हो चुका है और फुर्ती कहीं न कहीं गायब नजर आती है। हाईवे जैसी काया और कमजोर स्टैमिना के साथ अपराध नियंत्रण एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।
🚨 बीमारियों से जूझते पुलिस जवान
जिले में कई पुलिसकर्मी डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और सांस संबंधी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। हालात ऐसे हैं कि कुछ जवानों को ठीक से चलने-फिरने में भी परेशानी होती है, तो कुछ ड्यूटी के दौरान जल्दी थक जाते हैं।
ड्यूटी के दौरान उनकी हालत देखकर आम नागरिक भी हैरान रह जाते हैं। कई बार आपात स्थिति में यही कमजोरी पुलिस की कार्यक्षमता पर सीधा असर डालती है।
🕰️ तनाव और अनियमित जीवनशैली बनी वजह
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार नाइट ड्यूटी, मानसिक तनाव, अनियमित खान-पान और पर्याप्त आराम की कमी ने पुलिस जवानों की सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
परिवार और ड्यूटी के दबाव में कई जवान अपनी फिटनेस पर ध्यान ही नहीं दे पा रहे हैं।
🧠 विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस विभाग को चाहिए कि—
- सभी पुलिसकर्मियों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाए
- बीमार जवानों के लिए विशेष मेडिकल सुविधा और काउंसलिंग उपलब्ध कराई जाए
- फिटनेस कैंप, योग और व्यायाम प्रशिक्षण को अनिवार्य किया जाए
✅ समाधान की दिशा में जरूरी कदम
यदि दुर्ग पुलिस को वास्तव में मजबूत बनाना है, तो फिटनेस को केवल आदेश नहीं, बल्कि एक अभियान बनाना होगा—
- हर जिले में पुलिस हेल्थ चेकअप यूनिट
- फिट जवानों को प्रोत्साहन और सम्मान
- अनफिट जवानों के लिए विशेष सुधार कार्यक्रम
🔔 क्यों जरूरी है फिट पुलिस?
पुलिस की वर्दी सिर्फ पहचान नहीं, बल्कि जिम्मेदारी भी है। जब तक पुलिसकर्मी खुद स्वस्थ और फिट नहीं होंगे, तब तक वे पूरी ताकत से समाज की रक्षा नहीं कर पाएंगे।
दुर्ग जिले में अब वक्त आ गया है कि पुलिस फिटनेस को प्राथमिकता दी जाए—ताकि रक्षक खुद सुरक्षित रहें और जनता भी निश्चिंत रहे।
