रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित CG Liquor Scam मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव रह चुकी सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार कर लिया है। ईडी ने यह गिरफ्तारी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत की है।
ईडी रिमांड पर सौम्या चौरसिया
ईडी के रायपुर जोनल कार्यालय ने सौम्या चौरसिया को 16 दिसंबर 2025 को गिरफ्तार किया। इसके बाद उन्हें विशेष PMLA कोर्ट, रायपुर में पेश किया गया, जहां अदालत ने 19 दिसंबर तक तीन दिन की ईडी रिमांड मंजूर की। जांच एजेंसी का दावा है कि सौम्या ने लगभग 115.5 करोड़ रुपये की अपराध की आय (Proceeds of Crime) प्राप्त की।
डिजिटल सबूतों से खुलासा
ईडी के अनुसार, जांच में मिले डिजिटल रिकॉर्ड, जब्त दस्तावेज और लिखित बयान यह साबित करते हैं कि सौम्या चौरसिया शराब सिंडिकेट की मुख्य समन्वयक थीं। एजेंसी का कहना है कि वह सिंडिकेट के प्रमुख सदस्यों—अनिल टुटेजा और चैतन्य बघेल—के बीच कड़ी की तरह काम कर रही थीं।
ईडी ने यह भी बताया कि बरामद चैट्स और डिजिटल साक्ष्य दर्शाते हैं कि सौम्या ने आबकारी विभाग में अरुण पति त्रिपाठी और निरंजन दास को अहम पदों पर नियुक्त कराने में भूमिका निभाई थी, जिससे अवैध शराब नेटवर्क को मजबूत किया गया।
पहले भी कई बड़े नाम गिरफ्तार
इस CG Liquor Scam ED Arrest मामले में पहले ही कई हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। इनमें पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनवर ढेबर, पूर्व आबकारी अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी, तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा और पूर्व सीएम के पुत्र चैतन्य बघेल शामिल हैं।
2500 करोड़ से ज्यादा का घोटाला!
ईडी की जांच की शुरुआत आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा दर्ज FIR के आधार पर हुई थी। जांच एजेंसियों का दावा है कि इस शराब घोटाले से राज्य सरकार को भारी नुकसान हुआ और 2500 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई की गई।
राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल
सौम्या चौरसिया की गिरफ्तारी के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े करता है, बल्कि आने वाले समय में इसकी जांच और भी बड़े खुलासे कर सकती है।
