‘गुरु घंटाल’ टिप्पणी मामला: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से जीवन देवांगन को अग्रिम जमानत, कहा– प्रशासनिक विवाद का संदर्भ

रायपुर | हाईकोर्ट का अहम फैसला

Guru Ghantaal case Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप पर की गई एक टिप्पणी को लेकर दर्ज मामले में बड़ा फैसला सुनाया है।
राज्य के कैबिनेट मंत्री गुरु खुशवंत साहेब को लेकर कथित तौर पर “गुरु घंटाल” शब्द का इस्तेमाल करने के आरोपी जीवन देवांगन को अदालत ने अग्रिम जमानत दे दी है।

यह आदेश 18 दिसंबर 2025 को सुनाया गया।


व्हाट्सएप मैसेज से शुरू हुआ विवाद

मामला 13 नवंबर 2025 के आसपास का है। आरोप है कि जीवन देवांगन ने
“BJP मंडल ठेलकडीह” नामक व्हाट्सएप ग्रुप में एक संदेश पोस्ट किया था।

यह टिप्पणी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से जुड़े एक प्रशासनिक विवाद के संदर्भ में की गई थी, जिसमें “गुरु घंटाल” शब्द का प्रयोग हुआ।
हिंदी बोलचाल में इस शब्द का अर्थ चालाक या धूर्त व्यक्ति के रूप में लिया जाता है।


सतनामी समाज ने जताई आपत्ति

इस टिप्पणी को लेकर
जिला सतनामी समाज, खैरागढ़ और मंत्री समर्थकों ने आपत्ति जताई।
शिकायत में कहा गया कि—

  • टिप्पणी अपमानजनक और अशोभनीय है
  • इससे धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं
  • यह जानबूझकर सामुदायिक भावना को ठेस पहुंचाने के लिए किया गया

इसके बाद पुलिस में मामला दर्ज किया गया।


बचाव पक्ष की दलील: धार्मिक अपमान का इरादा नहीं

जीवन देवांगन की ओर से पेश वकीलों ने अदालत में दलील दी कि—

  • यह टिप्पणी किसी धर्म या समुदाय को अपमानित करने के इरादे से नहीं की गई
  • मामला एक व्यक्तिगत और प्रशासनिक विवाद से जुड़ा है
  • आरोपी के खिलाफ पहले दर्ज आपराधिक मामलों का निपटारा हो चुका है
  • लंबी जांच और ट्रायल को देखते हुए अग्रिम जमानत जरूरी है

हाईकोर्ट की टिप्पणी और फैसला

हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद माना कि—

  • विवाद का संदर्भ प्रशासनिक था, धार्मिक नहीं
  • याचिकाकर्ता का आपराधिक रिकॉर्ड पहले ही समाप्त हो चुका है
  • मामले की जांच में लंबा समय लग सकता है

इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने
Guru Ghantaal WhatsApp case Chhattisgarh High Court में
जीवन देवांगन को अग्रिम जमानत प्रदान कर दी।


कौन हैं गुरु खुशवंत साहेब

गुरु खुशवंत साहेब—

  • अरंग से विधायक हैं
  • छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं
  • उनके पास कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा, रोजगार और अनुसूचित जाति विकास जैसे अहम विभाग हैं

निष्कर्ष

यह फैसला सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों और उनके कानूनी दायरे को लेकर एक महत्वपूर्ण उदाहरण माना जा रहा है।
हाईकोर्ट ने साफ किया कि हर विवाद को उसके संदर्भ में देखा जाना चाहिए, न कि केवल शब्दों के आधार पर।

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