Chhattisgarh Tiger Poaching Case: करंट से बाघ का शिकार, हाईकोर्ट सख्त, PCCF से व्यक्तिगत जवाब तलब

📍 रायपुर | वन्यजीव संरक्षण समाचार

Chhattisgarh Tiger Poaching Case: छत्तीसगढ़ में वन्यजीव संरक्षण को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सूरजपुर जिले के गुरु घासीदास–तैमोर–पिंगला टाइगर रिजर्व में बाघ के शिकार की सनसनीखेज घटना ने न केवल वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को भी सख्त रुख अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है।

इस मामले में हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) से व्यक्तिगत शपथपत्र के साथ जवाब तलब किया है।


हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी: ‘बेहद गंभीर मामला’

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि
बाघ जैसे संरक्षित वन्यजीव का करंट लगाकर शिकार होना अत्यंत गंभीर और चिंताजनक है।

कोर्ट ने राज्य सरकार और वन विभाग से पूछा है कि—

  • प्रदेश में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए मौजूदा इंतजाम क्या हैं?
  • भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कौन-सी ठोस कार्ययोजना बनाई गई है?

15 दिसंबर को मिला था बाघ का शव

यह मामला सूरजपुर जिले के घुई वन परिक्षेत्र का है, जहां 15 दिसंबर को एक बाघ मृत अवस्था में मिला था।
प्रारंभिक जांच में उसकी मौत करंट लगने से होने की पुष्टि हुई।

वन विभाग की निगरानी में पोस्टमॉर्टम के बाद बाघ का अंतिम संस्कार किया गया, लेकिन जांच में सामने आए तथ्य बेहद चौंकाने वाले थे।


दांत, नाखून और जबड़ा निकालकर फरार हुए शिकारी

जांच में खुलासा हुआ कि—

  • शिकारियों ने बाघ के दांत, नाखून और जबड़ा निकाल लिया
  • बाघ के जबड़े और पीठ पर करंट से झुलसने के स्पष्ट निशान पाए गए

यह घटना साफ तौर पर संगठित वन्यजीव तस्करी गिरोह की ओर इशारा करती है।


वन विभाग की कार्रवाई, लेकिन सवाल बरकरार

घटना के बाद वन विभाग हरकत में आया है। विभाग के अनुसार—

  • कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है
  • नाखून और बाल बरामद किए गए हैं
  • एक महिला को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है

हालांकि, मुख्य आरोपी अब भी फरार हैं। विभाग का दावा है कि जल्द ही पूरे नेटवर्क का खुलासा किया जाएगा।


सरकारी दावों पर उठे सवाल

गौरतलब है कि वन्यजीव शिकार से जुड़ी एक जनहित याचिका पहले से ही हाईकोर्ट में लंबित है।
10 दिसंबर की पिछली सुनवाई में राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया था कि हाल के दिनों में शिकार की कोई नई घटना नहीं हुई है।

लेकिन सूरजपुर की इस घटना ने उन दावों की पोल खोल दी।

अब हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि
वन्यजीव सुरक्षा में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।


बाघ का यह शिकार सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण तंत्र की गंभीर विफलता को उजागर करता है।
अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट की अगली सुनवाई और PCCF के जवाब पर टिकी हैं, जिससे तय होगा कि प्रदेश में बाघों की सुरक्षा वाकई कितनी मजबूत है।

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