कर्नाटक।
Koppal Midday Meal Quality Issue: कर्नाटक के कोप्पल जिले में सरकारी स्कूलों में संचालित मिड-डे मील योजना की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
दरअसल, स्कूलों में परोसे जाने वाले चावल में कीड़े मिलने की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे बच्चों की सेहत को लेकर अभिभावकों में गहरी चिंता फैल गई है।
दो गांवों में सामने आया मामला
मंगलवार को कोप्पल तालुक के बिसारल्ली गांव स्थित एक सरकारी स्कूल में छात्रों और स्टाफ ने मिड-डे मील के लिए रखे चावल में कीड़े पाए।
इससे पहले कुष्टगी तालुक के मुद्धेनहल्ली गांव के स्कूल में भी ऐसी ही घटना सामने आ चुकी है।
लगातार सामने आ रही इन घटनाओं ने यह आशंका बढ़ा दी है कि Koppal Midday Meal Quality Issue कोई एकल मामला नहीं, बल्कि व्यवस्थागत लापरवाही का संकेत हो सकता है।
2.8 लाख बच्चों की सेहत दांव पर
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कोप्पल जिले में हर दिन 2.8 लाख से अधिक स्कूली बच्चे मिड-डे मील योजना पर निर्भर हैं।
ऐसे में भोजन की गुणवत्ता में किसी भी तरह की चूक बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण पर गंभीर असर डाल सकती है।
अभिभावकों का कहना है कि अगर समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो इसके दीर्घकालिक दुष्परिणाम हो सकते हैं।
आपूर्ति व्यवस्था पर उठे सवाल
अधिकारियों के मुताबिक,
- चावल जिले के अलग-अलग गोदामों से आपूर्ति किया जाता है
- जबकि दाल, तेल और मसाले नामित एजेंसियों के माध्यम से दिए जाते हैं
प्रारंभिक जांच में आशंका जताई गई है कि निजी ठेकेदारों द्वारा घटिया चावल और दाल की आपूर्ति की गई हो सकती है।
हालांकि प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि मामले की विस्तृत जांच की जा रही है और वरिष्ठ अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
अभिभावकों की मांग: सभी स्कूलों में जांच हो
घटना के बाद अभिभावकों ने मांग की है कि
- जिले के सभी सरकारी स्कूलों में खाद्यान्न और पके भोजन की तत्काल जांच की जाए
- दोषी आपूर्तिकर्ताओं पर कड़ी कार्रवाई हो
उनका कहना है कि बच्चों की सेहत से किसी भी तरह का समझौता स्वीकार्य नहीं है।
SDMC अध्यक्ष का बयान
स्कूल विकास एवं निगरानी समिति (SDMC) के अध्यक्ष हनुमंथप्पा हट्टी ने कहा कि ये घटनाएं अलग-अलग और सीमित हो सकती हैं, लेकिन
उन्होंने भरोसा दिलाया कि
- सफाई और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए निर्देश दिए गए हैं
- भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई नहीं जाएंगी
मिड-डे मील योजना का उद्देश्य बच्चों को पोषण और शिक्षा से जोड़ना है।
लेकिन कोप्पल जिले में सामने आई यह घटना बताती है कि निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार की सख्त जरूरत है।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी और गंभीरता से कार्रवाई करता है।
