बस्तर ओलंपिक्स में नई शुरुआत: आत्मसमर्पित नक्सली खिलाड़ी वेती गंगा बोले– अब मुख्यधारा में आकर बहुत खुश हूं

छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में आयोजित बस्तर ओलंपिक्स अब केवल एक खेल प्रतियोगिता नहीं रह गया है, बल्कि यह मुख्यधारा में लौटने और नई पहचान बनाने का मजबूत मंच बनता जा रहा है।
इसी कड़ी में आत्मसमर्पित नक्सली खिलाड़ी वेती गंगा की कहानी सामने आई है, जिसने खेलों के जरिए अपने जीवन की नई शुरुआत की।


📌 “आत्मसमर्पण के बाद अब अच्छा महसूस कर रहा हूं”

बस्तर ओलंपिक्स में भाग लेने के बाद वेती गंगा ने कहा—

“मैंने इस साल आत्मसमर्पण किया और मुख्यधारा से जुड़ा। अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। इसके लिए मैं केंद्र और राज्य सरकार का धन्यवाद करता हूं। बस्तर ओलंपिक्स में हिस्सा लेकर मैं बहुत खुश हूं।”

वेती गंगा की यह बात उन सैकड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा बन रही है, जो हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति और सम्मान का जीवन चुनना चाहते हैं।


📌 बस्तर को मिल रही सकारात्मक और नई पहचान

Bastar Olympics surrendered Naxalite player जैसे उदाहरणों को लेकर
बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज ने कहा कि बस्तर ओलंपिक्स के जरिए क्षेत्र को एक सकारात्मक और नई पहचान मिल रही है।

उन्होंने बताया—

“बस्तर संभाग में नक्सली गतिविधियां लगातार कम हो रही हैं और सामान्य स्थिति विकसित हो रही है। युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए 2024 में बस्तर ओलंपिक्स और बस्तर पंडुम का आयोजन किया गया। इसकी सफलता के बाद 2025 में भी बस्तर ओलंपिक्स आयोजित किया गया।”


📌 11 से 13 दिसंबर तक संभाग स्तरीय फाइनल

आईजी सुंदरराज ने जानकारी दी कि:

  • जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं के बाद
  • 11 से 13 दिसंबर तक बस्तर संभाग स्तरीय फाइनल आयोजित किए जा रहे हैं

इन प्रतियोगिताओं में:

  • बस्तर संभाग के सातों जिलों के खिलाड़ी
  • और ‘नुआ बाट’ टीम, जिसमें आत्मसमर्पित और पुनर्वासित माओवादी कैडर व नक्सल पीड़ित शामिल हैं

कुल मिलाकर 750 से अधिक खिलाड़ी उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे हैं।


📌 खेल बन रहे पुनर्वास का मजबूत माध्यम

आईजी सुंदरराज ने कहा कि बस्तर ओलंपिक्स जैसे कार्यक्रम
आत्मसमर्पित और पुनर्वासित माओवादी कैडरों तथा नक्सल पीड़ितों के लिए
समाज में दोबारा जुड़ने का प्रभावी साधन बनते जा रहे हैं।

उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले समय में
बस्तर क्षेत्र को खेलों के माध्यम से एक नई और सकारात्मक पहचान मिलेगी।


📌 प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुके हैं सराहना

पिछले वर्ष दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में बस्तर ओलंपिक्स की सराहना करते हुए इसे एक
“नई क्रांति” बताया था।

प्रधानमंत्री ने बस्तर ओलंपिक्स के शुभंकर:

  • जंगली जल भैंसा (Wild Water Buffalo)
  • हिल मैना (Hill Myna)

का उल्लेख करते हुए कहा था कि ये बस्तर की समृद्ध संस्कृति को दर्शाते हैं।
उन्होंने इसका मंत्र भी बताया—
“करसय ता बस्तर, बरसय ता बस्तर”, यानी बस्तर खेलेगा, बस्तर जीतेगा


🧩 निष्कर्ष: खेल से शांति की राह

बस्तर ओलंपिक्स यह साबित कर रहा है कि
खेल हिंसा का विकल्प बन सकते हैं और
भटके हुए युवाओं को सम्मान, आत्मविश्वास और नई पहचान दे सकते हैं।

आत्मसमर्पित नक्सली खिलाड़ी वेती गंगा की कहानी इस बदलाव की सबसे सशक्त मिसाल बनकर सामने आई है।

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