डिजिटल अरेस्ट ठगी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, CBI को देशभर में जांच का आदेश; बैंकों और IT सर्विस प्रोवाइडर्स पर भी निगरानी तेज

नई दिल्ली, 01 दिसम्बर 2025।
Supreme Court digital arrest scam: देशभर में तेजी से बढ़ रहे डिजिटल अरेस्ट ठगी मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। Chief Justice of India (CJI) सुर्या कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने SMW (Crl.) 3/2025 मामले में महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए कहा कि यह ठगी बेहद “गंभीर और चिंताजनक” स्तर पर पहुंच चुकी है।

कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि Supreme Court digital arrest scam मामलों की जांच अब सीधे CBI द्वारा की जाएगी और इस दिशा में त्वरित कार्रवाई बेहद जरूरी है।


CBI को डिजिटल अरेस्ट मामलों की प्राथमिकता से जांच का आदेश

खंडपीठ ने निर्देश दिया कि—

  • CBI पहले उन मामलों की जांच करे, जिनमें डिजिटल अरेस्ट की शिकायतें सीधे सामने आई हैं।
  • इसके बाद अन्य साइबर अपराधों को चरणबद्ध तरीके से लिया जाए।

डिजिटल अरेस्ट स्कैम में ठग खुद को पुलिस अधिकारी, सरकारी एजेंसी या जांच अधिकारी बताकर लोगों को फर्जी वर्चुअल “अरेस्ट” में ले लेते हैं और उनसे भारी रकम वसूलते हैं।


बैंकों की भूमिका की जांच भी होगी, RBI से AI-ML टूल्स पर रिपोर्ट मांगी

Supreme Court digital arrest scam: कोर्ट ने CBI को बैंकों की भूमिका की स्वतंत्र जांच करने की अनुमति दी है, खासकर उन खातों में जहां डिजिटल अरेस्ट ठगी का पैसा जमा किया गया।
यह जांच Prevention of Corruption Act के तहत भी हो सकती है।

साथ ही, कोर्ट ने रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को निर्देश दिया कि वह बताए—

  • बैंक किस प्रकार AI और मशीन लर्निंग आधारित सिस्टम से फर्जी खातों की पहचान करते हैं
  • और किन मामलों में ये सिस्टम विफल हो रहे हैं

IT सर्विस प्रोवाइडर्स को डेटा साझा करने के आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सभी IT कंपनियों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को निर्देश दिया कि—

  • CBI की जांच में “पूर्ण सहयोग” दें
  • आवश्यक होने पर कंटेंट डेटा भी उपलब्ध कराएँ
  • कोई भी प्लेटफॉर्म जांच में बाधा न बनाए

कई राज्यों को CBI को पैन-इंडिया जांच की अनुमति देने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, तमिलनाडु, उत्तराखंड और हरियाणा सहित अन्य राज्यों से कहा कि—
वे CBI को देशभर में जांच के लिए अपनी औपचारिक सहमति दें।

इसके बिना जांच की गति प्रभावित हो सकती है।


एक ही नाम पर कई सिम कार्ड जारी होने पर अदालत की कड़ी टिप्पणी

Supreme Court digital arrest scam: खंडपीठ ने इसे “चौंकाने वाला और खतरनाक” बताया कि—
एक ही व्यक्ति के नाम पर कई सिम कार्ड जारी हो जाते हैं, जिनका उपयोग ठग बड़े पैमाने पर कर रहे हैं।

कोर्ट ने दूरसंचार विभाग (DoT) को निर्देश दिया कि—

  • सिम कार्ड जारी करने की एक मॉडल प्रोटोकॉल रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए
  • इसकी कड़ी निगरानी राज्य स्तर पर भी सुनिश्चित की जाए

राज्य साइबर यूनिट्स को भी सक्रिय रहने का निर्देश

कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि—

  • उनकी रीजनल साइबर क्राइम यूनिट्स सक्रिय रूप से काम करें
  • किसी भी प्रकार की बाधा या कमी सीधे कोर्ट को सूचित की जाए

अमीकस को सीधे सबूत भेजने की सुविधा

Supreme Court digital arrest scam: अदालत ने कहा कि सभी इंटरवीनर्स और विशेषज्ञ सीधे अमीकस क्यूरी को ईमेल के माध्यम से अपनी सामग्री भेज सकते हैं। इससे जांच और प्रक्रिया अधिक प्रभावी होगी।


फिलहाल फोकस सिर्फ डिजिटल अरेस्ट स्कैम पर—CJI

CJI सुर्या कांत ने साफ किया कि—

  • वर्तमान सुनवाई विशेष रूप से Supreme Court digital arrest scam मामलों तक सीमित रहेगी
  • अन्य साइबर अपराधों पर बाद में विचार होगा, यदि जरूरत पड़ी

साथ ही, केंद्र सरकार को कहा गया कि वह—

  • सभी संबंधित मंत्रालयों से सुझाव लेकर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करे
  • और DoT अगली सुनवाई में उपस्थित रहे

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