सुकमा में 25 पूर्व नक्सलियों को 5G स्मार्टफोन, मुख्यधारा से जोड़ने की मानविक पहल

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण और मानवीय कदम उठाते हुए पुनर्वास केंद्र में रह रहे 25 पूर्व नक्सलियों को 5G स्मार्टफोन वितरित किए। इस पहल का उद्देश्य उन युवाओं को डिजिटल दुनिया तक पहुँच देना है, जिन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़कर एक नई ज़िंदगी शुरू करने का फैसला किया है।

यह वही समूह है जिससे गृह मंत्री विजय शर्मा ने 22 नवंबर को मुलाकात की थी। उन्होंने साफ कहा था कि अब उन्हें तकनीकी रूप से सक्षम बनना होगा ताकि वे नए अवसरों की ओर बढ़ सकें।


स्मार्टफोन सिर्फ डिवाइस नहीं, नया रास्ता: प्रशासन

सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि राज्य सरकार की पहल के तहत 10,000 रुपये कीमत वाले आधुनिक 5G मोबाइल फोन इन पूर्व नक्सलियों को दिए गए हैं।
उन्होंने कहा,
“उद्देश्य यह है कि ये युवा मुख्यधारा से जुड़ें, क्रिकेट देखें, फिल्में देखें, अपने परिवार से संपर्क रखें और सबसे महत्वपूर्ण—खुद को सशक्त महसूस करें।”

कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव और एसपी की देखरेख में यह वितरण किया गया।


फोन के फीचर्स और असल मकसद

दिए गए स्मार्टफोन में

  • 50 मेगापिक्सल डुअल कैमरा
  • 5000 mAh फास्ट-चार्जिंग बैटरी
  • हाई-एंड 5G प्रोसेसर
    जैसे फीचर्स हैं।

अधिकारियों का मानना है कि यह सिर्फ “फोन” देने की पहल नहीं, बल्कि नए अवसरों की खिड़की खोलने जैसा है। इंटरनेट मिलने के बाद ये युवा अब

  • ऑनलाइन शिक्षा,
  • कौशल विकास प्रशिक्षण,
  • सरकारी पोर्टल,
  • डिजिटल भुगतान,
  • नौकरी खोजने
    जैसी सुविधाओं तक आसानी से पहुँच सकेंगे।

पुनर्वास प्रक्रिया को मजबूत करेगा डिजिटल जुड़ाव

अधिकारियों ने बताया कि स्मार्टफोन इन पूर्व नक्सलियों को परिवार से नियमित संपर्क में रहने में मदद करेगा। इससे न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि वे खुद को सुरक्षित भी महसूस करेंगे।
डिजिटल माध्यमों से सही जानकारी मिलना उन्हें अफवाहों और भूमिगत नक्सली नेटवर्क की गलत जानकारी से भी दूर रखेगा।

प्रशासन जल्द ही पुनर्वास केंद्र के सभी अन्य निवासियों को भी 5G स्मार्टफोन देने वाला है।


तकनीक बनेगी नई जिंदगी की पुलिया

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
“यह फोन सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि उस नई जिंदगी का पुल है जिसमें वे लौटकर आना चाहते हैं। सफल पुनर्वास के लिए सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि डिजिटल कौशल भी जरूरी है।”

सुकमा जिला, जो कभी नक्सलवाद का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता था, अब तेज़ी से बदल रहा है। लगातार बढ़ती आत्मसमर्पण की संख्या इस बदलाव की गवाही देती है।

प्रशासन उम्मीद कर रहा है कि यह संदेश पूरे बस्तर में जाएगा कि राज्य हिंसा खत्म करने के साथ-साथ उन लोगों का स्वागत भी करता है जो शांति का रास्ता चुनते हैं।

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