माओवादी हिंसा प्रभावित सरोज पोडियाम बनीं आत्मनिर्भर: PM स्वनिधि योजना से मिला सहारा, सिलाई व्यवसाय में नई उड़ान

रायपुर, 27 नवम्बर 2025।
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की निवासी श्रीमती सरोज पोडियाम की जीवन-यात्रा दृढ़ इच्छाशक्ति, संघर्ष और सरकारी योजनाओं के प्रभावी उपयोग की प्रेरक मिसाल पेश करती है। वर्ष 2009 में माओवादी हिंसा में उनके ससुर की हत्या ने परिवार को आर्थिक संकट में धकेल दिया था, लेकिन आज वही परिवार आत्मनिर्भरता की राह पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है।

🌿 नवा बिहान योजना से मिला पहला सहारा

कठिन परिस्थितियों में शासन ने उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया। नवा बिहान योजना के अंतर्गत सरोज को आवास मिला, वहीं उनके पति राकेश पोडियाम को नगर सैनिक (सिपाही) के पद पर नियुक्त किया गया। इस सहारे से परिवार को सुरक्षा और स्थायी आजीविका का मजबूत आधार मिला।

👗 सिलाई कार्य था शुरू, लेकिन पूंजी की कमी रोक रही थी कदम

सरोज पहले से ही घर में सिलाई कार्य करती थीं, लेकिन पूंजी की कमी के कारण वे इसे बड़ा रूप नहीं दे पा रही थीं। इसी दौरान उन्हें PM स्वनिधि योजना (PM SVANidhi) की जानकारी मिली, जो छोटे व्यवसायों को आर्थिक संबल देने के लिए शुरू की गई है।

💰 PM स्वनिधि योजना के तहत 15,000 रुपये का ऋण स्वीकृत

24 नवंबर को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सुकमा द्वारा सरोज को 15,000 रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया।
चेक वितरण कार्यक्रम में मुख्य नगर पालिका अधिकारी पी.आर. कोर्राम और नगर पालिका परिषद अध्यक्ष हूँगा राम मरकाम उपस्थित रहे।

यह सहयोग सरोज के लिए सिर्फ आर्थिक मदद नहीं, बल्कि नए आत्मविश्वास की शुरुआत साबित हुआ।

✨ आत्मनिर्भरता की ओर कदम: बढ़ा सिलाई व्यवसाय

ऋण मिलते ही सरोज ने अपने सिलाई व्यवसाय को और विस्तार दिया। नए उपकरण, नए डिज़ाइन और बेहतर कार्य क्षमता के साथ उन्होंने अपने काम को नई दिशा दी।
आज वे अपने परिवार का भरण-पोषण स्वाभिमान के साथ कर रही हैं और समाज में सशक्त एवं आत्मनिर्भर महिला के रूप में पहचानी जा रही हैं।

💬 “सरकार की मदद और हौसले ने बदला जीवन” — सरोज पोडियाम

सरोज कहती हैं—
“शासन की योजनाओं और हमारी इच्छाशक्ति ने मिलकर ही हमारे जीवन को नई दिशा दी है। आज हम सुरक्षित भी हैं और आत्मनिर्भर भी।”

🌟 प्रेरणा की कहानी: हिम्मत और योजनाओं का सही उपयोग

सरोज पोडियाम की यह कहानी बताती है कि—
सही मार्गदर्शन, सरकारी योजनाओं का उचित लाभ और व्यक्तिगत संकल्प किसी भी कठिन परिस्थिति को अवसर में बदल सकता है।
उनकी यह उपलब्धि सुकमा सहित पूरे छत्तीसगढ़ की अनेक महिलाओं के लिए नई प्रेरणा का स्रोत है।

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