नई दिल्ली।
अयोध्या के राम मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 फुट ऊंचा भगवा धार्मिक ध्वज फहराने को लेकर पाकिस्तान की आपत्तियों पर भारत ने बुधवार को तीखी प्रतिक्रिया दी। भारत ने स्पष्ट कहा कि पाकिस्तान, जो खुद अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए बदनाम है, उसे किसी अन्य देश पर भाषण देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं।
भारत ने पाकिस्तान की टिप्पणी को बताया ‘तिरस्कार योग्य’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि “हमने पाकिस्तान की टिप्पणी देखी है और उसे पूरे तिरस्कार के साथ खारिज करते हैं। जिस देश का रिकॉर्ड कट्टरता, दमन और अल्पसंख्यकों के दुरुपयोग से भरा हो, वह दूसरों को उपदेश देने की स्थिति में नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान “पाखंड भरी सलाह देने के बजाय अपने घर की हालत सुधारे और अपने डरावने मानवाधिकार रिकॉर्ड पर ध्यान दे।”
यह प्रतिक्रिया उस समय आई जब पाकिस्तान ने भगवा ध्वज फहराने को भारत में अल्पसंख्यकों पर दबाव बढ़ाने और मुस्लिम विरासत को मिटाने की कोशिश बताया था।
राम मंदिर और ऐतिहासिक संदर्भ
पाकिस्तान की टिप्पणी का संदर्भ बाबरी मस्जिद से जुड़ा है, जो 6 दिसंबर 1992 को ढह गई थी। वर्षों चले कानूनी विवाद के बाद 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष के पक्ष में फैसला सुनाया और 2020 में प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी।
चार साल बाद, एक भव्य समारोह में उन्होंने मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा में हिस्सा लिया।
भगवा ध्वज फहराने का महत्व
मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने 22 फुट ऊंचे त्रिकोणीय भगवा ध्वज को फहराया, जिस पर सूर्य का प्रतीक अंकित है—जो ऊर्जा, तेज, सद्गुण, और भगवान श्रीराम से जुड़े आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है।
ध्यान देने योग्य है कि यह ध्वज 108 विद्वान आचार्यों की उपस्थिति में विधिवत अनुष्ठान के साथ फहराया गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि “500 साल का संकल्प पूरा हुआ है… अयोध्या फिर एक ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बन रही है।”
भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में नया तनाव
पाकिस्तान की इस टिप्पणी ने एक बार फिर दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव को उजागर कर दिया है। भारत ने साफ संकेत दिया है कि धार्मिक समारोहों या आस्था से जुड़े निर्णयों पर बाहरी टिप्पणी स्वीकार नहीं की जाएगी।
विदेश मंत्रालय की सख्त प्रतिक्रिया ने यह संदेश दिया है कि भारत अपने सांस्कृतिक निर्णयों और धार्मिक परंपराओं पर किसी भी विदेशी हस्तक्षेप को लेकर बेहद संवेदनशील है।
