रायपुर (26 नवंबर): छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति की उम्मीद एक बार फिर मजबूत हुई है। खैरागढ़-छुईखदान-गंडई (KCG) जिले में बुधवार को 20 लाख के इनामी नक्सली दंपती ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। यह घटना नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा बलों और सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
इस खबर का केंद्र बिंदु है “Naxalite couple surrender”, जिसने कई जानों को हिंसा की राह से वापस मोड़ने का संदेश दिया है।
🔻 कौन हैं यह नक्सली दंपती?
सरेंडर करने वाले नक्सलियों की पहचान धनुष उर्फ़ मुन्ना और उसकी पत्नी रॉनी उर्फ़ तूले (दोनों उम्र 25 वर्ष) के रूप में हुई है।
दोनों लंबे समय से बस्तर के माड़ डिवीजन और तांदा–मलांझखंड एरिया कमेटी के तहत सक्रिय थे। यह इलाका मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमाओं से जुड़ा रहने की वजह से CPI (माओवादी) की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र माना जाता है।
दोनों पर संयुक्त रूप से 20 लाख रुपये का इनाम घोषित था, जो इन्हें शीर्ष सूची के वांछित नक्सलियों में शामिल करता है।
🔻 क्यों चुना सरेंडर का रास्ता?
आत्मसमर्पण के दौरान दंपती ने बताया कि वे राज्य सरकार की नई सरेंडर और पुनर्वास नीति से बेहद प्रभावित हुए।
मानव-केन्द्रित पुनर्वास व्यवस्था, सुरक्षा और सामाजिक पुनर्स्थापना की आशा ने उन्हें हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटने पर मजबूर किया।
दोनों ने कहा कि नक्सली संगठन के भीतर बढ़ती निराशा, हिंसा और कठिन जीवन ने उन्हें थका दिया था। वहीं बाहर की दुनिया की बेहतर संभावनाओं ने उन्हें नया विश्वास दिया।
🔻 पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
KCG पुलिस अधिकारियों ने कहा कि यह सरेंडर सिर्फ एक सुरक्षा उपलब्धि नहीं, बल्कि आतंक के रास्ते से लौटने की एक संवेदनशील मानवीय कहानी भी है।
पुलिस का मानना है कि दंपती के आत्मसमर्पण से माड़ डिवीजन में संगठन की गतिविधियों पर बड़ा असर पड़ेगा और कई अन्य नक्सली भी मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित होंगे।
🔻 आगे क्या होगा?
सरेंडर के बाद दोनों को पुनर्वास नीति के तहत मिलने वाली सुविधाएँ, सुरक्षा और आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
माना जा रहा है कि यह कदम नक्सल प्रभावित इलाकों में विश्वास और शांति बहाली की प्रक्रिया को और मजबूत करेगा।
“Naxalite couple surrender” न केवल एक सुरक्षा सफलता है, बल्कि यह बताता है कि सही नीतियां, संवेदनशील दृष्टिकोण और न्यायसंगत पुनर्वास व्यवस्था कई युवाओं को हिंसा से दूर ले जा सकती है।
छत्तीसगढ़ सरकार की यह नीति अब परिणाम दिखा रही है, और आने वाले दिनों में ऐसे सकारात्मक बदलाव और देखने को मिल सकते हैं।
