छत्तीसगढ़ के सुरजपुर जिले में एक चार वर्षीय छात्र को क्रूरता की हद पार करते हुए पेड़ पर लटकाकर दी गई सज़ा ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। यह घटना हनस वाहिनी विद्या मंदिर (नरायणपुर) की है, जहां दो महिला शिक्षिकाओं ने होमवर्क पूरा न करने पर मासूम बच्चे के साथ अमानवीय व्यवहार किया।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आ गया और जांच तेज़ कर दी गई है।
😢 होमवर्क न करने पर बच्चे को कपड़े उतरवाकर पेड़ से बांधा
प्रत्यक्षदर्शियों और वायरल वीडियो के अनुसार, टीचर काजल साहू ने बच्चे की शर्ट को रस्सी से बांधा और उसे स्कूल परिसर में ही पेड़ से लटका दिया।
मासूम घंटों तक लटका रहा—
- उसने रोते हुए छोड़ देने की गुहार लगाई
- मदद की विनती की
- लेकिन आरोप है कि शिक्षिकाओं ने उसकी एक न सुनी
बच्चे के परिवार के सदस्य संतोष कुमार साहू ने स्कूल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की।

📹 वायरल वीडियो से मचा हड़कंप, प्रशासन मौके पर पहुंचा
वीडियो जब गांव से होते हुए सोशल मीडिया पर फैला, तो मामला तुरंत गंभीर हो गया।
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (BEO) डीएस लकरा तुरंत स्कूल पहुंचे और ऑन-ग्राउंड जांच शुरू की।
DEO अजय मिश्रा ने भी पुष्टि की कि घटना संज्ञान में आ चुकी है और विस्तृत रिपोर्ट मंगाई गई है।
📝 “गलती हो गई…” — आरोपित शिक्षिका का बयान
जांच के दौरान स्कूल प्रशासन ने भी अपनी गलती स्वीकार की।
स्कूल संचालक ने इसे “गंभीर चूक” बताते हुए सार्वजनिक माफी मांगी।
वहीं एक शिक्षिका ने मीडिया से कहा—
“हाँ, मुझसे गलती हुई है। यह पहली बार हुआ… जानबूझकर नहीं किया।”
लेकिन इस बयान ने गुस्से को शांत नहीं किया, बल्कि सवाल और गहरे हो गए—
- एक चार वर्षीय मासूम को ऐसी क्रूर सज़ा क्यों?
- स्कूल प्रशासन इतने समय तक चुप क्यों रहा?
- बाल सुरक्षा के नियमों का पालन क्यों नहीं हुआ?

👮♂️ शिक्षा विभाग की जांच जारी, कार्रवाई के संकेत
क्लस्टर इंचार्ज मनोज यादव ने बताया कि शिक्षिकाओं का यह कृत्य “पूरी तरह गलत” है।
उन्होंने विस्तृत रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को सौंप दी है।
DEO ने कहा—
“रामानुजनगर BEO और BRC को जांच के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट मिलने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।”
मासूम बच्चे की हालत फिलहाल सुरक्षित बताई जा रही है, लेकिन मनोवैज्ञानिक रूप से वह घटना से डरा हुआ है।
🧒 अभिभावकों में भारी गुस्सा, बाल सुरक्षा पर बड़ा सवाल
गांव के अभिभावकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने घटना की निंदा करते हुए कहा—
- स्कूल में बच्चों की सुरक्षा कहां है?
- क्या ऐसे हाथों में नन्हे बच्चों को छोड़ना सुरक्षित है?
यह घटना स्कूल प्रणाली में मौजूद खामियों पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
