रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षकों को आवारा कुत्तों की निगरानी करने का सरकारी आदेश अब बड़ा विवाद बन गया है। शिक्षक संगठनों, प्राचार्यों और राजनीतिक नेताओं ने इसे शिक्षक समुदाय के सम्मान के खिलाफ बताया है और आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
20 नवंबर को लोक शिक्षण संचालनालय ने एक परिपत्र जारी कर शिक्षकों को निर्देशित किया था कि वे स्कूल परिसर में घूमने वाले आवारा कुत्तों पर नजर रखें, उनकी जानकारी ग्राम पंचायत या नगर निगम को दें और कुत्तों के स्कूल में प्रवेश को रोकने के लिए “आवश्यक व्यवस्था” करें।
“शिक्षकों को डॉग कैचर बना दिया गया”—शिक्षक संगठनों का आक्रोश
शिक्षक संगठनों ने कहा कि वे बच्चों की सुरक्षा के लिए हमेशा जिम्मेदार हैं, लेकिन इस तरह के आदेश उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं।
शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष कजेश कुमार ने कहा—
“हम पहले ही कई प्रशासनिक कामों से दबे हैं। अब आवारा कुत्तों की निगरानी का आदेश देना अनुचित है। यह शिक्षक समुदाय का अपमान है।”
कई प्रधानाध्यापकों ने भी आदेश को “अतार्किक”, “व्यवहार से परे” और “व्यावहारिक रूप से असंभव” बताया।
उन्होंने कहा कि पहले ही स्कूल निरीक्षण रिपोर्ट, चुनावी ड्यूटी, सर्वे और भारी कागजी काम के कारण शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।
टीएस सिंहदेव का बयान—“शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ गलत, आदेश वापस हो”
पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने भी आदेश पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा कि शिक्षक 100 प्रतिशत शिक्षा कार्य के लिए जिम्मेदार हैं, न कि ऐसे दायित्वों के लिए जिनका पढ़ाई से कोई संबंध नहीं है।
सिंहदेव ने इसे “भ्रमित करने वाला और अनुचित आदेश” बताते हुए तत्काल वापसी की मांग की।
उन्होंने कहा कि पहले से ही स्टाफ की कमी झेल रहे शिक्षकों पर ऐसे असंबंधित दायित्व डालना बिल्कुल गलत है।
22,464 शिक्षकों की कमी: शिक्षा तंत्र पहले ही संकट में
विवाद उस समय सामने आया है जब छत्तीसगढ़ में 22,464 शिक्षकीय पद खाली हैं।
शिक्षा विभाग के अनुसार:
- 7,957 पद प्राथमिक स्कूलों में खाली
- 7,734 पद मिडिल स्कूलों में खाली
- 6,773 पद हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में रिक्त
ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में कई स्कूल सिर्फ एक या दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
आदेश की वापसी की मांग तेज, शिक्षकों में गहरी नाराजगी
शिक्षकों का कहना है कि आवारा कुत्तों की समस्या गंभीर है, लेकिन इसका समाधान संबंधित विभागों द्वारा किया जाना चाहिए, न कि शिक्षकों द्वारा।
शिक्षक संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि आदेश वापस नहीं लिया गया, तो राज्य भर में विरोध आंदोलन तेज किया जाएगा।
