मध्य प्रदेश में निचली अदालतों में पदस्थ जजों पर होने वाले लगातार हमलों पर अब जबलपुर हाईकोर्ट सख्त हो गया है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट कहा कि जब जज ही सुरक्षित नहीं, तो न्याय व्यवस्था को सुरक्षित कैसे माना जाएगा। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से नई स्टेटस रिपोर्ट तलब की है।
2016 से 2025 तक पांच बड़े हमले, हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2016 से 2025 तक जजों पर धमकी और हमले के पांच मामले सामने आए हैं। इनमें से एक मामले में थाना प्रभारी को निलंबित किया गया, जबकि चार आरोपियों को जेल भेजा गया।
मंदसौर, ग्वालियर, रीवा, अनूपपुर और इंदौर जैसे जिलों में जजों को धमकी मिल चुकी है। कोर्ट ने कहा कि यह स्थिति न्यायिक तंत्र की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
“हालात ठीक नहीं… लॉ एंड ऑर्डर का ब्रेकडाउन दिख रहा” — चीफ जस्टिस
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि दो जजों के घर चोरी, दो मामलों में घर में घुसने की कोशिश, और एक जिला जज पर हमला हुआ है। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को देखकर बिल्कुल नहीं लगता कि हालात ठीक हैं।
चीफ जस्टिस के शब्दों में—
“यहां लॉ एंड ऑर्डर का कम्पलीट ब्रेकडाउन दिख रहा है।”
जजों की सुरक्षा पर हाईकोर्ट गंभीर
कोर्ट ने बताया कि जिला स्तरीय निगरानी समितियों की रिपोर्टें चिंताजनक हैं। इसलिए सरकार को जजों की सुरक्षा मजबूत करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे।
कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 4 दिसंबर तय की है और तब तक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
सरकार की ओर से दिए गए तर्क, मगर कोर्ट असंतुष्ट
उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने कोर्ट को बताया कि राज्य के 52 जिला सत्र न्यायालयों में बाउंड्रीवाल बनाकर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की गई है।
निगरानी समितियों की सिफारिशों के आधार पर सुरक्षा को और सुदृढ़ किया गया है।
हालांकि हाईकोर्ट इन जवाबों से संतुष्ट नहीं हुआ और कहा कि जजों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की मूल जिम्मेदारी है। जब जज ही सुरक्षा की मांग करने पर मजबूर हों, तो आम जनता खुद ही समझ सकती है कि हालात कहाँ खड़े हैं।
पुराने मामलों की याद दिलाकर कोर्ट ने जताई चिंता
कोर्ट ने उन घटनाओं का भी उल्लेख किया, जिन्होंने प्रदेश में न्यायिक व्यवस्था की सुरक्षा को सवालों के घेरे में खड़ा किया है—
- 23 जुलाई 2016, मंदसौर: जज पर हमला
- बालाघाट: न्यायाधीश पर हमला
- भोपाल गैस प्राधिकरण के पीठासीन अधिकारी पर एसिड अटैक
इन घटनाओं ने संकेत दिया कि MP judges attack issue केवल कानूनी समस्या नहीं बल्कि सुरक्षा का गंभीर संकट बन चुका है।
