District News | 23 नवंबर 2025
नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे सीआरएस पोर्टल में एक बड़ी सेंध का मामला सामने आया है। साइबर ठगों ने बड़ागांव ब्लॉक के ग्राम पंचायत सचिव संजय गोस्वामी की यूजर आईडी हैक कर 2415 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी कर दिए।
यह गंभीर मामला सामने आने के बाद भी साइबर सेल और पंचायत विभाग की लापरवाही ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
यही वजह है कि CRS portal hack fake birth certificates अब बड़ी चिंता का विषय बन चुका है।
💻 कैसे हुई हैकिंग?
जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों की ऑनलाइन व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को यूजर आईडी और पासवर्ड दिए जाते हैं।
इसी सिस्टम में हैकर्स ने सितंबर में सेंध लगा दी।
ग्राम पंचायत सचिव के अधीन आने वाली दिगारा, वनगुवां और कोलवां ग्राम पंचायतों से दो दिनों के भीतर—
👉 2415 जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए
👉 जिनमें झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के नाम शामिल थे
हैरानी की बात यह रही कि इतने बड़े आँकड़े के बावजूद सचिव को इसकी भनक नहीं लग सकी।
⚠️ दो दिन बाद फर्जीवाड़े का पता चला
जब सचिव को आईडी हैक होने और रिकॉर्ड में अनियमितता का पता चला, तो विभाग में हड़कंप मच गया।
उन्होंने 9 सितंबर को साइबर सेल थाने में शिकायत दर्ज करानी चाही, लेकिन—
❗ साइबर सेल ने कहा—
“ऑनलाइन शिकायत करो”
और पूरी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
दूसरी तरफ, विभाग ने आईडी ब्लॉक कराकर और प्रमाणपत्र निरस्त करके आगे की जांच से हाथ पीछे खींच लिए।
🧾 विभाग ने क्यों दिखाई उदासीनता?
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, विभाग ने केवल—
✔ आईडी ब्लॉक कराई
✔ जारी सभी फर्जी प्रमाणपत्र रद्द कराए
लेकिन,
❌ ठगों ने इन 2415 फर्जी प्रमाणपत्रों का कहां, कैसे और किस उद्देश्य से इस्तेमाल किया—
इसकी कोई जांच नहीं हुई।
यह लापरवाही कई संभावित अपराधों की ओर इशारा करती है।
🗣️ पंचायत सचिव का बयान
ग्राम पंचायत सचिव संजय गोस्वामी ने बताया—
“सबसे ज्यादा जन्म प्रमाणपत्र झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के जारी हुए थे। पूरा रिकॉर्ड निरस्त किया गया, लेकिन नई आईडी बनने के बाद पुराना डेटा निकालना अब और मुश्किल हो गया है।”
उनके बयान से विभागीय अव्यवस्था और सुरक्षा कमजोरियों के गंभीर संकेत मिलते हैं।
🔍 बड़ा सवाल: फर्जी प्रमाणपत्रों का क्या हुआ?
2415 जन्म प्रमाणपत्र—
➡️ किन लोगों ने इस्तेमाल किए?
➡️ क्या इसका उपयोग पहचान बदलने, दस्तावेज़ फर्जीवाड़े या आर्थिक अपराधों में हुआ?
➡️ क्या ऐसे मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी खतरा हो सकता है?
इन सभी सवालों का अभी कोई जवाब नहीं है।
