नई दिल्ली/श्रीनगर, 22 नवंबर 2025/ दिल्ली के रेड फोर्ट ब्लास्ट केस की जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने शनिवार को व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल से जुड़े एक और महत्वपूर्ण संदिग्ध तुफैल नियाज़ भट को गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी उस मॉड्यूल की कड़ियों को गहराई से जोड़ने में अहम मानी जा रही है, जिसने 10 लोगों की जान लेने वाले ब्लास्ट को अंजाम तक पहुँचाया।
पुलवामा का इलेक्ट्रिशियन निकला मॉड्यूल का हिस्सा
तुफैल नियाज़ भट, जो पेशे से इलेक्ट्रिशियन है और पुलवामा का रहने वाला है, को SIA ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। एक स्थानीय CID अधिकारी के अनुसार, जांच के दौरान ऐसे ठोस सबूत मिले हैं जो उसके ब्लास्ट की योजना बनाने में प्रत्यक्ष भूमिका की ओर संकेत करते हैं। अब एजेंसियाँ इस बात की पड़ताल कर रही हैं कि भट मॉड्यूल में किस स्तर तक शामिल था।
कैसे पकड़ा गया “व्हाइट कॉलर” टेरर मॉड्यूल
इस मॉड्यूल का खुलासा तब हुआ जब अक्टूबर में नौगाम, श्रीनगर में दीवारों पर सुरक्षाबलों और पुलिस को धमकी देने वाले पोस्टर मिले।
एसएसपी श्रीनगर डॉ. जीवी सुंदराराम चक्रवर्ती के नेतृत्व में जांच शुरू हुई। CCTV फ़ुटेज ने पुलिस को पहले तीन आरोपियों तक पहुँचाया—
- आरिफ निसार डार उर्फ साहिल
- यासिर उल अशरफ
- मक़सूद अहमद डार उर्फ शाहिद
इनकी पूछताछ ने मॉड्यूल का एक और चेहरा उजागर किया—मौलवी इरफान अहमद, जो पहले पैरामेडिक था और बाद में इमाम बन गया। उस पर पोस्टर उपलब्ध कराने और दूसरों को प्रभावित करने का आरोप है।
अल फला यूनिवर्सिटी से मिला 2,900 किलो विस्फोटक
जांच की कड़ियाँ आगे बढ़ीं और पुलिस अल फला यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद पहुँची। यहाँ से
- डॉ. मुझफ़्फ़र गनई
- डॉ. शाहीन सईद
को गिरफ्तार किया गया, और 2,900 किलो विस्फोटक पदार्थ बरामद हुआ।
जांचकर्ताओं के अनुसार मॉड्यूल का कोर ग्रुप तीन डॉक्टरों का था—
- डॉ. गनई
- उमर नबी (ब्लास्ट के दौरान कार चला रहा था)
- मुझफ्फ़र रदर (फरार)
NIA ने 4 मुख्य आरोपियों को 10 दिन की कस्टडी में लिया
इससे पहले NIA ने 10 नवंबर को रेड फोर्ट ब्लास्ट के चार मुख्य साजिशकर्ताओं को गिरफ्तार किया था—
- डॉ. मुझम्मिल शकील गनई (पुलवामा)
- डॉ. अदील अहमद रदर (अनंतनाग)
- डॉ. शाहीन सईद (लखनऊ)
- मुफ़्ती इरफान अहमद वगाय (शोपियां)
इन सभी को पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पकड़ा था। अब कोर्ट के प्रोडक्शन वारंट पर इन्हें 10 दिनों की NIA कस्टडी में भेज दिया गया है।
जांच एजेंसियों का मानना है कि यह पूरा मॉड्यूल गहरी साजिश, तकनीकी समझ और व्हाइट कॉलर नेटवर्क पर आधारित था, जिसमें शिक्षित पेशेवरों ने आतंक फैलाने की कोशिश की।
