रायपुर। राजधानी की मशहूर NIT चौपाटी शनिवार, 22 नवंबर की सुबह उस समय विवादों में घिर गई जब रायपुर नगर निगम का अमला बुलडोजर लेकर चौपाटी हटाने पहुंचा।
चौपाटी को हटाने की कार्रवाई शुरू होने से पहले ही इसका ज़ोरदार विरोध शुरू हो गया। कांग्रेस नेता, व्यापारी और स्थानीय लोग मौके पर बैठकर विरोध करने लगे। देखते ही देखते माहौल तनावपूर्ण हो गया।
व्यापारी बोले—“हमारा रोज़गार खत्म हो जाएगा”
चौपाटी में वर्षों से दुकानें चला रहे व्यापारियों का कहना है कि अचानक हटाने की कार्रवाई से उनका पूरे परिवार का गुज़ारा खतरे में पड़ जाएगा।
व्यापारियों के साथ कांग्रेस के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय और पार्टी के अन्य नेता भी धरने पर बैठ गए। उनका आरोप है कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के चौपाटी हटाना अन्यायपूर्ण निर्णय है।
जब निगम का अमला वहाँ पहुँचा, तो कांग्रेस नेता बुलडोजर के सामने खड़े होकर प्रदर्शन करने लगे। कई दुकानदारों की आँखों में चिंता साफ झलक रही थी—चौपाटी उनके लिए सिर्फ दुकान नहीं, बल्कि रोज़ की रोटी-रोज़गार का साधन है।
राजेश मूणत चौपाटी हटाने के पक्ष में
दूसरी ओर, रायपुर पश्चिम के विधायक राजेश मूणत चौपाटी हटाने के फैसले का समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि सड़क और सार्वजनिक स्थानों पर अनियोजित ढंग से बनी चौपाटियाँ ट्रैफिक समस्या और अव्यवस्था का कारण बनती हैं।
पहले भी कांग्रेस सरकार के समय हुई आधुनिकीकरण और विकास प्रक्रिया का मूणत ने जोरदार विरोध किया था।
2023 में भाजपा सरकार आने के बाद चौपाटियों और अनियमित दुकानों को हटाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई।
7 दिन में खाली करने का नोटिस मिला था
निगम प्रशासन ने वहां दुकान लगाने वाले सभी व्यापारियों को 7 दिन में जगह खाली करने का नोटिस दिया था।
नोटिस की अवधि पूरी होते ही शनिवार को निगम अमला मौके पर पहुंचा। लेकिन स्थितियाँ अनुमान से ज्यादा संवेदनशील थीं, इसलिए हटाने की कार्रवाई शुरू करने से पहले ही राजनीतिक टकराव तेज हो गया।
चौपाटी में ठेले और छोटे-छोटे फूड स्टॉल चलाने वाले कारोबारी भी अनिश्चितता में हैं। वे चाहते हैं कि सरकार उन्हें किसी सुरक्षित और स्थायी वैकल्पिक स्थान पर व्यवस्थित कर दे, ताकि उनका व्यवसाय प्रभावित न हो।
क्यों खड़ा हुआ यह विवाद?
- चौपाटी कांग्रेस सरकार में विकसित की गई थी।
- भाजपा सरकार के आने के बाद कई चौपाटियों और अतिक्रमणों को हटाने का अभियान जारी है।
- कांग्रेस इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रही है।
- भाजपा का कहना है कि यह यातायात प्रबंधन और शहर की साफ-सुथरी व्यवस्था के लिए आवश्यक कदम है।
यह स्पष्ट है कि NIT चौपाटी केवल व्यावसायिक स्थान नहीं, बल्कि रायपुर के सामाजिक और राजनीतिक माहौल में एक बड़ा मुद्दा बन चुकी है।
