नई दिल्ली। Red Fort blast Al Falah University missing persons मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फालाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कम से कम 10 लोग—जिनमें तीन कश्मीरी युवकों सहित छात्र और कर्मचारी शामिल हैं—रहस्यमय तरीके से लापता हो गए हैं। उनके मोबाइल फोन भी बंद हैं, जिससे आशंका और गहरी हो गई है।
इन 10 लोगों के गायब होने का पता जम्मू-कश्मीर पुलिस और हरियाणा पुलिस की संयुक्त कार्रवाई के दौरान चला। यह वही यूनिवर्सिटी है जिसे दिल्ली के लाल किले में हुए VBIED ब्लास्ट के संभावित “ग्राउंड ज़ीरो” के रूप में चिह्नित किया गया है।
क्या यह ‘टेरर डॉक्टर’ मॉड्यूल से जुड़े लोग हैं?
जांच एजेंसियों के शुरुआती इनपुट बताते हैं कि ये लापता लोग संभवतः उस ‘टेरर डॉक्टर’ मॉड्यूल से जुड़े हो सकते हैं, जिसने अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल से भरी Hyundai i20 कार को लाल किले के बाहर विस्फोटक बनाया था।
इस भयानक हमले में 15 लोगों की मौत हुई थी। यह दिल्ली में पहला VBIED अटैक था।
जेईएम ने की फंड जुटाने की डिजिटल अपील – महिलाओं की अगुवाई वाला अटैक भी संभव
जांच में यह भी सामने आया है कि जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने हाल ही में 20,000 पाकिस्तानी रुपये तक की डिजिटल ‘डोनेशन कॉल’ जारी की है।
यह अभियान SadaPay जैसे पाकिस्तानी ऐप के जरिये चलाया जा रहा था।
सूत्रों का दावा है कि जैश महिलाओं द्वारा संचालित फिदायीन हमले की भी योजना बना रहा था।
इसकी अगुवाई मसूद अजहर की बहन सादिया करती है, जो जमात-उल-मूमिनात नाम के महिला विंग को लीड करती है।
‘मैडम सर्जन’ — डॉ. शाहिना सईद पर बड़ा शक
लाल किला ब्लास्ट की प्रमुख संदिग्ध महिला
डॉ. शाहिना सईद, कोडनेम “मैडम सर्जन”
पर हमले की फंडिंग और मॉड्यूल मैनेजमेंट का आरोप है।
वह लंबे समय से जमात-उल-मूमिनात से जुड़ी बताई जाती है और रेड फोर्ट ब्लास्ट मॉड्यूल की मुख्य कड़ी मानी जा रही है।
हमले में मारे गए थे डॉ. उमर मोहम्मद – 9 लोग पहले ही गिरफ्तार
हमला जिस कार से किया गया था, उसे चलाने वाला
डॉ. उमर मोहम्मद खुद विस्फोट में मारा गया।
अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें अल-फालाह मेडिकल कॉलेज के तीन डॉक्टर भी शामिल हैं।
मंगलवार को अल-फालाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक
जावेद अहमद सिद्दीकी
को भी ईडी ने टेरर फंडिंग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया है।
अल-फालाह यूनिवर्सिटी पर जांच एजेंसियों की नजर
जांच एजेंसियों को यूनिवर्सिटी में सक्रिय एक छोटे नेटवर्क पर शक है, जो
- सुरक्षित ठिकाने,
- लॉजिस्टिक सपोर्ट,
- तकनीकी सहायता
प्रदान कर रहा था।
अब 10 लोगों का उसी समय लापता होना एजेंसियों के लिए बड़ा अलर्ट है।
स्थानीय प्रशासन और केंद्र के लिए यह गंभीर सुरक्षा चुनौती
सूत्रों के अनुसार, यह मामला अब
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों, NIA और इंटेलिजेंस ब्यूरो
की शीर्ष प्राथमिकता पर है।
जांच में डिजिटल ट्रांजैक्शन, आधार लिंकिंग, और मोबाइल लोकेशन डेटा का मिलान तेजी से किया जा रहा है।
लापता व्यक्तियों की खोज के लिए
- JK पुलिस
- हरियाणा STF
- दिल्ली स्पेशल सेल
की संयुक्त टीमें सक्रिय हैं।
