कांकेर आंगनबाड़ी केंद्र में धर्मांतरण का आरोप: 15 बच्चे केंद्र जाना छोड़ें, जांच शुरू

कांकेर जिले के नरहरपुर ब्लॉक अंतर्गत भैंसमुंडी गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में धर्मांतरण का विवाद गहराता जा रहा है। ग्रामीणों ने केंद्र में तैनात सहायिका पर बच्चों के धर्म परिवर्तन का प्रयास करने का आरोप लगाया है, जिसके बाद Conversion in Anganbari Center मामला प्रशासन तक पहुंच गया है।

बच्चों के अभिभावकों में डर और नाराज़गी के चलते करीब 15 मासूम अब आंगनबाड़ी जाना बंद कर चुके हैं, जिससे पोषण, प्राथमिक शिक्षा और टीकाकरण जैसी ज़रूरी सेवाएं बाधित हो गई हैं।


⚠️ धर्मांतरण के आरोपों से ग्रामीणों में चिंता

ग्रामीणों का आरोप है कि आंगनबाड़ी सहायिका, जिसने वर्ष 2009 में ईसाई धर्म अपना लिया था, बच्चों को प्रभावित करने की कोशिश कर रही थी। गांव के कई माता-पिता ने बताया कि बच्चों ने शिक्षण गतिविधियों के दौरान “असामान्य व्यवहार” की शिकायत की, जिसके बाद उन्होंने बच्चों को केंद्र भेजना रोक दिया।

ग्राम सरपंच हीरालाल कुंजाम और ग्राम प्रमुख रामदयाल चक्रधारी ने भी पुष्टि की कि हाल ही में गांव में 6 परिवारों ने धर्मांतरण किया था, जिनमें से 3 परिवार वापस अपने मूल धर्म में लौट चुके हैं। इससे पहले भी गांव में धार्मिक तनाव की स्थिति बन चुकी थी।


🏢 महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम जांच में जुटी

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग ने जांच शुरू कर दी है। परियोजना अधिकारी ने कहा—
“आंगनबाड़ी में बच्चों के नहीं पहुंचने की शिकायत मिली है। दोनों पक्षों से बात की जाएगी, ताकि बच्चें नियमित रूप से आंगनबाड़ी आ सकें।”

विभाग इस बात को लेकर भी असमंजस में है कि धर्म परिवर्तन कर चुके कर्मचारी को हटाने या रोकने का कोई कानूनी प्रावधान है या नहीं।


👩‍🏫 सहायिका ने आरोपों को नकारा, कहा—2009 से ईसाई धर्म मानती हूं

आरोपों के बीच आंगनबाड़ी सहायिका केसर नरेटी का कहना है कि उन्होंने 2009 से ईसाई धर्म अपनाया है लेकिन बच्चों पर किसी भी प्रकार का धार्मिक प्रभाव डालने का प्रयास नहीं किया।
उन्होंने कहा कि यह विवाद “गलतफहमी और अफवाहों” के कारण फैल रहा है।


🚨 केंद्र की सभी गतिविधियां ठप — मासूमों की सेहत व शिक्षा पर असर

आंगनबाड़ी केंद्र में चलने वाली गतिविधियां—

  • पोषण आहार
  • प्राथमिक शिक्षा
  • गर्भवती महिलाओं/बच्चों की हेल्थ मॉनिटरिंग
  • टीकाकरण

अब सीधे प्रभावित हो रही हैं।
ग्रामीणों में असुरक्षा और विभाग में कानूनी अस्पष्टता के चलते प्रशासन भी उलझन में है कि आगे की प्रक्रिया क्या हो।

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