Bihar election identical vote tally। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने इस बार सिर्फ NDA की ऐतिहासिक जीत के कारण ही सुर्खियाँ नहीं बटोरीं, बल्कि कई सीटों पर मिले लगभग समान वोट आंकड़ों ने भी लोगों का खास ध्यान खींचा। यह दिलचस्प संयोग सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा: वोटों का अद्भुत संयोग
इस वोट पैटर्न ने सबसे ज्यादा चौंकाया भाजपा के दोनों उपमुख्यमंत्रियों—सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा—के आंकड़ों ने।
सम्राट चौधरी, जो पहली बार तरापुर सीट से मैदान में उतरे, ने कुल 1,22,480 वोट हासिल किए। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, RJD के अरुण कुमार को 45,843 वोटों से हराया।
इसी तरह, विजय कुमार सिन्हा ने अपने गढ़ लखीसराय में लगातार पाँचवीं बार जीत दर्ज की और कुल 1,22,408 वोट हासिल किए। उनके और चौधरी के वोटों में केवल 72 वोट का अंतर रहा, जिसने सबसे अधिक चर्चा बटोरी।
दोनों सीटों पर 13-13 उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन मुकाबला सीधा NDA बनाम विपक्ष रहा।
नीराज कुमार सिंह और कृष्ण कुमार ऋषि: वोट का और एक संयोग
दिलचस्प यह भी रहा कि सुपौल जिले के छातापुर से भाजपा प्रत्याशी नीराज कुमार सिंह को मिले 1,22,491 वोट, जो लगभग उसी श्रेणी में थे जैसे कि पूर्णिया जिले की बनमाखी सीट से भाजपा के कृष्ण कुमार ऋषि को मिले 1,22,494 वोट।
सिंह ने चौथी बार जीत दर्ज की, जबकि ऋषि लगातार छठी बार विधानसभा पहुंचे।
अन्य सीटों पर भी दिखे यह अजीब पैटर्न
इस वोट पैटर्न का संयोग सिर्फ यहीं नहीं रुका।
- भागलपुर में भाजपा के रोहित पांडेय को मिले 100,770 वोट
- इस्लामपुर में जदयू के रुहल रंजन को मिले 100,487 वोट
- पूर्णिया में भाजपा के विजय खेमका ने पाए 127,614 वोट
- लालगंज से भाजपा के संजय सिंह को मिले 127,650 वोट
इन आंकड़ों की समानता ने राजनीतिक पंडितों को भी हैरान कर दिया है और लोग इसे चुनावी संयोग का ‘मैथमैटिकल मिस्ट्री’ बताकर चर्चा कर रहे हैं।

NDA की ऐतिहासिक जीत के बीच यह रोचक संयोग
इस बार NDA—जिसमें भाजपा, जदयू, लोजपा (राम विलास), हम(से) और RLM शामिल थे—ने कुल 202 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया।
वहीं विपक्षी INDIA गठबंधन मात्र 35 सीटों पर सिमट गया। RJD ने 143 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ 25 सीटों पर जीत हासिल की, जो उसके लिए बेहद खराब प्रदर्शन रहा।
ऐसे में, एक तरफ जहां NDA अपनी ऐतिहासिक जीत का जश्न मना रहा है, वहीं दूसरी ओर लगभग समान वोटों के ये पैटर्न लोगों के बीच उत्सुकता का कारण बने हुए हैं। चुनाव विश्लेषक मानते हैं कि इतने करीब वोटों का मिलना एक संयोग हो सकता है, लेकिन यह बिहार चुनाव को और ज्यादा रोचक बनाता है।
