शेख हसीना को मिली फांसी की सज़ा पर चीन का बयान: यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला

नई दिल्ली। Sheikh Hasina death sentence पर चीन ने पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह पूरी तरह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है। चीन ने इस विषय पर और टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। बांग्लादेश की बर्खास्त प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई थी।

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से बीजिंग में मीडिया ब्रीफिंग के दौरान इस फैसले पर सवाल पूछा गया। उन्होंने कहा, “यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है।”

उन्होंने आगे कहा कि चीन बांग्लादेश के लोगों के प्रति “सद्भावना और मित्रता” की नीति पर कायम है।
“हम sincerely आशा करते हैं कि बांग्लादेश एकजुटता, स्थिरता और विकास हासिल करे,” उन्होंने कहा।

शेख हसीना को क्यों मिली मौत की सज़ा?

78 वर्षीय शेख हसीना को 2024 के छात्र आंदोलन पर क्रूर कार्रवाई के लिए दोषी पाया गया। यह कार्रवाई उस समय हुई थी जब उनके नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर छात्र-नेतृत्व वाला आंदोलन चला।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस अवधि में 15 जुलाई से 15 अगस्त 2024 के बीच करीब 1,400 लोगों की मौत हुई थी।

ट्रायल के दौरान हसीना अदालत में मौजूद नहीं थीं।
वह 5 अगस्त 2024 को भारत भाग आईं और तभी से यहीं रह रही हैं।

अन्य आरोपियों को क्या सज़ा मिली?

इस मामले में शेख हसीना के साथ:

  • पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमान खान कमाल को भी मौत की सज़ा
  • पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को 5 साल की कैद

मामून ने जुर्म कबूल कर लिया था और जांच में सहयोग किया था, इसलिए उसे हल्की सज़ा दी गई। वह फैसले के दौरान अदालत में मौजूद रहने वाला एकमात्र आरोपी था।

UN का बयान: मौत की सज़ा पर चिंता

शेख हसीना को दी गई सज़ा पर संयुक्त राष्ट्र ने भी प्रतिक्रिया दी।
UN के प्रवक्ता स्टेफ़न दुजारिक ने कहा कि यह फैसला 2024 की हिंसा के पीड़ितों के लिए अहम है, लेकिन मौत की सज़ा “दुर्भाग्यपूर्ण” है।

UN महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क के बयान से सहमति जताई कि मौत की सज़ा का हर स्थिति में विरोध किया जाता है

भारत में शरण लिए बैठी हैं हसीना

शेख हसीना अगस्त 2024 में भारी विरोध और हिंसा के बीच बांग्लादेश से भागकर भारत आई थीं।
तब से वह लगातार भारत में रह रही हैं, जबकि बांग्लादेश में नया राजनीतिक संघर्ष जारी है।

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