नई दिल्ली: बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन की करारी हार के बाद आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के घर में उठा पारिवारिक तूफान लगातार सुर्खियों में है। रविवार को रोहिणी ने मीडिया से कहा कि उन्होंने जो भी बातें सोशल मीडिया पर साझा कीं, वे “पूरी तरह सच” हैं और उन्होंने “किसी घटना को तोड़ा-मरोड़ा नहीं है।”
रोहिणी आचार्य ने कहा—
“जो भी कहना था, मैं सोशल मीडिया पर कह चुकी हूं। मैंने एक भी बात झूठ नहीं बोली। Rohini jo bolti hai, sach bolti hai. मेरे माता-पिता और बहनें कल मेरे लिए रो रही थीं। मैं धन्य हूं कि मुझे ऐसे माता-पिता मिले हैं।”
“भाई से सवाल पूछे गए तो मुझे ससुराल जाने को कह दिया”
भावुक होते हुए रोहिणी ने कहा कि परिवार में मुश्किलें आने पर बेटियों से ही त्याग की अपेक्षा क्यों की जाती है।
उन्होंने कहा—
“जब भाइयों से सवाल किए गए, तो उन्होंने मुझे कहा कि मैं ससुराल चली जाऊं। इसके बाद ही मैंने अपने भाई (तेजस्वी) को त्यागने का फैसला किया।”
वे अब मुंबई जाकर अपनी सास के घर रहने वाली हैं, जो उनकी स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं।
“जूते उठाए गए, गालियां दी गईं… कल एक बेटी का स्वाभिमान चोटिल हुआ”
शनिवार को चुनाव परिणाम आने के अगले ही दिन रोहिणी ने सोशल मीडिया पर परिवार से अलग होने और राजनीति छोड़ने की घोषणा कर दी थी। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा था कि—
“कल एक बेटी, बहन, बहू और मां का अपमान हुआ। गालियां दी गईं, जूते उठाए गए… लेकिन मैंने अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। मुझे मजबूरी में अपना मायका छोड़ना पड़ा, मैं अनाथ जैसी स्थिति में आ गई।”
इस भावुक पोस्ट ने पूरे देश में चर्चाओं का तूफ़ान खड़ा कर दिया।
संजय यादव और रमीज़ पर गंभीर आरोप
रोहिणी ने आरोप लगाया कि संजय यादव और रमेज़ नेमत उस पूरे घटनाक्रम के पीछे हैं, जिसके चलते उन्हें घर छोड़ना पड़ा।
संजय यादव तेजस्वी यादव के करीबी और आरजेडी के राज्यसभा सांसद हैं, जबकि रमेज़ उनके बचपन के दोस्त माने जाते हैं।
परिवारिक विवाद के दौरान रोहिणी ने सवाल उठाया कि—
“क्यों हर बार बोझ बेटियों पर ही डाला जाता है, जबकि परिवार में बेटे भी हैं?”
लालू-राबड़ी और परिवार की भावनात्मक टूटन
रोहिणी ने दावा किया कि शनिवार को हुए घटनाक्रम के बाद लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और उनकी बहनों की आंखों में आंसू थे।
उन्होंने कहा—
“मेरे माता-पिता और बहनें मेरे लिए रो रहे थे। मैं उनकी बेटी बने रहने के लिए खुद को सौभाग्यशाली मानती हूं।”
पारिवारिक विवाद से राजनीतिक झटका भी
चुनाव में आरजेडी की करारी हार के बाद जब तेजस्वी यादव तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने से चूक गए, उसी दिन परिवार के भीतर बढ़ते मतभेदों के कारण रोहिणी का राजनीति छोड़ना पार्टी के लिए बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है।
