अवैध खनन रोकने में लापरवाही पर BJP सांसद भोजराज नाग की चेतावनी: “अधिकारियों के नाम से नींबू काटेंगे”

रायपुर:
छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में एक बार फिर भाजपा सांसद भोजराज नाग अपने बयान को लेकर चर्चा में हैं। कांकेर के भाजपा सांसद नाग ने सार्वजनिक रूप से अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि जो अधिकारी जनता की शिकायतों को अनदेखा कर रहे हैं और फोन कॉल नहीं उठा रहे, उनके नाम से “नींबू काटा जाएगा”

यह चेतावनी उन्होंने धमतरी में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी, जहां वे अवैध खनन और प्रशासनिक लापरवाही के मुद्दों पर खुलकर बोले।

अवैध खनन न रोक पाने पर नाराज सांसद

सांसद भोजराज नाग ने आरोप लगाया कि कई क्षेत्रों में अवैध खनन जारी है, लेकिन अधिकारी कार्रवाई करने में उदासीन हैं। उन्होंने कहा—
“जनता की शिकायतें अनसुनी की जा रही हैं। फोन उठाना तो दूर, अधिकारी समस्या सुनने से भी बच रहे हैं।”

नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि जिन अधिकारियों ने काम नहीं किया, “हम उनके नाम से नींबू काटेंगे”

पहले भी हो चुका है विरोध—अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप

यह पहला मौका नहीं है जब भोजराज नाग ने ऐसी चेतावनी दी हो। पिछले वर्ष भी उन्होंने इसी तरह का बयान दिया था, जिसके बाद तर्कवादियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्हें जमकर आड़े हाथों लिया था।
नींबू काटना ग्रामीण क्षेत्रों में एक काला जादू जैसा कर्मकांड माना जाता है, जिसका उद्देश्य किसी व्यक्ति पर दुर्भाग्य लाना माना जाता है।

छत्तीसगढ़ में ‘छत्तीसगढ़ जादूटोना प्रतिबंध अधिनियम, 2005’ लागू है, जो अंधविश्वास फैलाने या जादूटोना जैसी प्रथाओं को बढ़ावा देने पर रोक लगाता है।

नवरात्रि के दौरान ‘देवी प्रकोप’ का दावा कर चुके थे सांसद

भोजराज नाग अक्सर अपने बयानों और सांस्कृतिक व्यवहारों के कारण सुर्खियों में रहते हैं। बीते नवरात्रि में वे सार्वजनिक रूप से नाचते नजर आए थे और दावा किया था कि उन पर देवी का प्रकोप है।
हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति में देवी-देवता मनुष्यों पर सवार होते हैं, इसलिए इसे गलत न समझा जाए।

जनता के मुद्दों पर बनी रहेगी नजर

सांसद नाग का कहना है कि उनका उद्देश्य अधिकारियों को डराना नहीं, बल्कि उन्हें जनता की आवाज सुनने के लिए बाध्य करना है। उन्होंने कहा कि अवैध खनन और ग्रामीण समस्याओं पर वे लगातार गंभीर हैं और आगे भी कार्रवाई करवाते रहेंगे।

यह विवाद फिर से सत्ता और प्रशासन के रिश्तों, अंधविश्वास पर कानून की भूमिका और जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी पर बहस को तेज कर रहा है।

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