पटना। बिहार की गरम होती सियासत के बीच Hajipur strong room controversy ने शनिवार को नया मोड़ ले लिया। आरजेडी ने चुनाव आयोग (ECI) के सामने शिकायत दर्ज कर दावा किया कि वैशाली जिले के हाजीपुर स्ट्रॉन्ग रूम में संदिग्ध गतिविधियाँ चल रही हैं। पार्टी ने देर रात की सीसीटीवी फुटेज भी साझा की, जिनमें कैमरे एक-एक कर बंद होते दिखे और एक पिकअप वैन कैंपस से अंदर-बाहर जाती नजर आई।
आरजेडी ने इसे चुनावी धांधली की साजिश बताते हुए कड़ी भाषा में आरोप लगाया कि “देश का सबसे बड़ा वोट चोर बिहार में डेरा जमाए बैठा है।” पार्टी ने यह भी कहा कि दो बाहरी नेता बिहार की लोकतांत्रिक परंपरा को नुक़सान पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं।
ECI की त्वरित प्रतिक्रिया: तकनीकी ‘टाइमआउट’ बताया कारण
आरजेडी की शिकायत सामने आते ही चुनाव आयोग हरकत में आ गया। शुरुआती जांच के बाद आयोग ने स्पष्ट किया कि स्ट्रॉन्ग रूम के सीसीटीवी फ़ीड दो जगहों पर दिखाए जा रहे थे—मुख्य नियंत्रण कक्ष और पार्टी प्रतिनिधियों के लिए बनाए गए व्यूइंग पॉइंट पर।
आयोग के अनुसार, मुख्य नियंत्रण कक्ष की CCTV फ़ीड लगातार चलती रही, उसमें कोई रुकावट नहीं आई।
हालांकि, पांच विधानसभा क्षेत्रों में से 129 महनार के डिस्प्ले स्क्रीन ने कुछ समय के लिए ऑटो ‘टाइमआउट’ में जाकर बंद हो गया था। इसे तुरंत रिस्टार्ट कर दिया गया और अन्य सभी फ़ीड बिल्कुल सामान्य रही।
आयोग ने साफ किया कि मुख्य नियंत्रण कक्ष की असल फुटेज में कोई बाधा नहीं आई थी।
पिकअप वैन का पूरा सच: सुरक्षा कर्मियों का सामान
सीसीटीवी फुटेज में दिखी पिकअप वैन को लेकर उठे सवालों पर आयोग ने कहा कि वह वाहन सुरक्षा कर्मियों का था, जो रात में अपने लिए बिस्तर और जरूरी सामग्री लेकर परिसर में पहुंचे थे।
वाहन 15 मिनट के भीतर लौट गया और इसकी एंट्री-एग्जिट पूरी तरह गॉर्ड रजिस्टर में दर्ज है।
आरजेडी प्रतिनिधि ने भी माना तथ्य
आयोग ने बताया कि लालगंज से आरजेडी प्रतिनिधि कुंदन कुमार, जिन्होंने सबसे पहले वीडियो साझा किया था, ने भी सत्यापन के दौरान आयोग के तथ्यों को सही माना। इसके बाद आयोग ने आरजेडी के दावे को “भ्रामक और आधारहीन” बताया।
बिहार की राजनीति में बढ़ती गर्मी
हाजीपुर स्ट्रॉन्ग रूम विवाद ने चुनावी माहौल में अचानक हलचल बढ़ा दी है। बिहार चुनाव से पहले यह मामला विपक्ष व सत्ता पक्ष के बीच नई बहस खड़ी कर रहा है।
धरातल पर मतदाता परिस्थितियों को ध्यान से देख रहे हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को लेकर उनकी चिंता व उम्मीदें दोनों स्पष्ट झलकती हैं।
निष्कर्ष
Hajipur strong room controversy भले ही तकनीकी ‘टाइमआउट’ और सुरक्षा कर्मियों की दिनचर्या से जुड़ा मामला निकला हो, लेकिन इसके राजनीतिक मायने दूर तक जाते हैं। चुनाव आयोग ने मामले की जांच कर तथ्य सार्वजनिक कर दिए हैं, वहीं राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
बिहार की चुनावी राजनीति में यह प्रकरण एक नया अध्याय जोड़ गया है, जिसे आने वाले दिनों में और भी तेज़ी से उठाया जाएगा।
