Rohini Acharya quits politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में RJD की करारी हार के एक दिन बाद लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिनी आचार्य ने राजनीति छोड़ने और परिवार से अलग होने का चौंकाने वाला फैसला किया है।
यह कदम न सिर्फ RJD के भीतर गहरे संकट को उजागर करता है, बल्कि लालू परिवार में चल रहे मतभेदों को भी सामने लाता है।
🔴 “मैं राजनीति छोड़ रही हूं… परिवार से भी नाता तोड़ रही हूं” — रोहिनी
रोहिनी आचार्य ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक भावुक पोस्ट लिखते हुए कहा—
“I’m quitting politics and I’m disowning my family… This is what Sanjay Yadav and Rameez had asked me to do… and I’m taking all the blame.”
उनकी इस पोस्ट ने RJD खेमे में हलचल मचा दी है।
बताया जा रहा है कि यह निर्णय उन्होंने संजय यादव और रमीज़ की सलाह पर लिया है, जिन दोनों को तेजस्वी यादव का बेहद करीबी माना जाता है।
🟠 RJD की हार, परिवार में घमासान और रोहिनी की नाराज़गी
बिहार चुनाव में RJD महागठबंधन को करारी शिकस्त मिली है और पार्टी महज 25 सीटों तक सिमट गई।
इसी हार के बाद अब RJD में लगातार बढ़ते पारिवारिक टकराव खुलकर सामने आने लगे हैं।
कुछ समय पहले ही लालू यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से निकाल दिया था।
तेज प्रताप ने बाद में अपनी नई पार्टी जंशन शक्ति जनता दल बनाई, लेकिन चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सके।
राजनीतिक गलियारों में ये भी चर्चा थी कि रोहिनी तेज प्रताप की पार्टी से निकाले जाने से नाखुश थीं, हालांकि चुनाव अभियान के दौरान वह तेजस्वी के लिए मैदान में उतरी थीं।
🟢 रोहिनी: डॉक्टर, बेटी और वह शख़्स जिसने पिता को दिया था नया जीवन
सिंगापुर में अपने परिवार के साथ रहने वाली रोहिनी आचार्य पेशे से डॉक्टर हैं।
उन्होंने अपने पिता लालू प्रसाद यादव को किडनी दान देकर देशभर में सम्मान और पहचान हासिल की थी।
RJD में उनकी आवाज़ हमेशा प्रभावी मानी जाती थी।
लेकिन अब उनका राजनीति छोड़ना RJD के लिए बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका माना जा रहा है।

🔵 RJD में बढ़ती दरारें: क्या यह परिवार और पार्टी दोनों के लिए मुश्किल समय?
तेज प्रताप के बगावती तेवर, RJD की चुनावी हार, और अब रोहिनी का राजनीति से संन्यास…
ये घटनाएँ बताती हैं कि RJD सिर्फ राजनीतिक ही नहीं, बल्कि परिवारिक संकट से भी जूझ रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रोहिनी का यह कदम आने वाले दिनों में RJD की रणनीति और नेतृत्व दोनों को प्रभावित करेगा।
🟣 अंत में… कहानी सिर्फ राजनीति की नहीं, परिवार की भी है
रोहिनी का राजनीति से हटना सिर्फ एक नेता का फैसला नहीं, बल्कि एक बेटी का दर्द और दायित्व का टकराव भी दिखाता है।
कभी अपने पिता की सबसे बड़ी ताकत मानी जाने वाली रोहिनी का यह कदम RJD के भविष्य पर गहरी छाप छोड़ सकता है।
