बिहार चुनाव में INDIA गठबंधन की हार पर ‘वोट चोरी’ बहस तेज, अशोक गहलोत ने EC पर मिलीभगत का आरोप

Bihar vote chori allegations: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में शुक्रवार को INDIA गठबंधन की करारी हार के बाद Bihar vote chori को लेकर विपक्ष ने एक बार फिर चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। परिणामों के साथ ही विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग (ECI) की भूमिका पर तीखे आरोप लगाए हैं।

🔹 गहलोत का आरोप: “महिलाओं को ₹10,000 देने का सिलसिला चुनाव के दौरान भी जारी रहा”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव आयोग पर “मौन तमाशबीन” बने रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को दिए जा रहे ₹10,000 के हस्तांतरण चुनाव प्रचार चलने के दौरान भी जारी रहे, जो मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (MCC) का स्पष्ट उल्लंघन है।

गहलोत ने कहा:
“2023 राजस्थान चुनाव में हमने मोबाइल फोन वितरण और पेंशन भुगतान MCC लगते ही रोक दिए थे, लेकिन बिहार में ऐसा नहीं हुआ। चुनाव आयोग ने कोई रोक नहीं लगाई। यह साफ मिलीभगत है।”

उनके अनुसार, जब निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित नहीं किए जाते, बूथ कैप्चरिंग या बेईमानी होती है और चुनाव आयोग कार्रवाई नहीं करता—तो इसे ही वोट चोरी कहा जाता है।

🔹 65 लाख वोटरों के नाम कटने पर भी सवाल

कांग्रेस सांसद मनीषकंम टैगोर ने विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उनका कहना है कि 65 लाख वोटरों—ज्यादातर विपक्ष समर्थक—के नाम हटाए जाने ने चुनाव परिणामों को प्रभावित किया।

टैगोर ने X पर लिखा:
“जब खेल शुरू होने से पहले ही मैदान एकतरफा कर दिया जाए, तो लोकतंत्र कैसे बचेगा? यह साफ तौर पर #VoteChori है।”

🔹 कांग्रेस की स्थिति बेहद कमजोर

रिपोर्ट लिखे जाने तक कांग्रेस 61 सीटों में से सिर्फ 5 सीटों पर बढ़त बनाए हुए थी। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार कुटुंबा सीट से पीछे चल रहे थे।

वहीं किशनगंज से Md क़मरुल होदा 24,058 वोटों से आगे थे, और भागलपुर से अजीत शर्मा 4,797 वोटों से आगे चल रहे थे, जैसा कि चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं।

🔹 विपक्ष की चिंता: “लोकतंत्र का संतुलन बिगड़ रहा है”

INDIA गठबंधन नेताओं का मानना है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता घटने से लोकतांत्रिक भरोसा कमजोर हुआ है। उनकी मांग है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण की स्वतंत्र जांच और MCC लागू होने के बाद हुए सभी सरकारी भुगतान की समीक्षा की जाए।

विपक्ष के मुताबिक, यदि ऐसी प्रक्रियाएं अनियंत्रित रहीं, तो भविष्य के चुनावों की विश्वसनीयता भी प्रभावित होगी।

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