दुर्ग शहर में शनिवार की सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया। बस स्टैंड के पास स्थित 11 MLD फिल्टर प्लांट की पानी टंकी से एक सड़ी-गली लाश बरामद की गई। और हैरान करने वाली बात यह है कि यह उसी टंकी से पिछले दो दिनों से हजारों लोग पानी पीते रहे।
🚨 शव ऊपर आने पर ऑपरेटर की पड़ी नजर
पानी टंकी में शव का पता तब चला जब वह दो-तीन दिन पुराने शरीर की तरह फूलकर सतह पर आ गया। ऑपरेटर ने इसे देखा और तुरंत अधिकारियों को सूचना दी। जिस स्थान पर सुरक्षा और निगरानी सबसे ज्यादा होनी चाहिए, वही सबसे लापरवाह साबित हुआ।
👮 क्या कह रही है पुलिस?
डीएसपी भारती मरकाम ने बताया कि फिल्टर प्लांट के नलघर में किसी अज्ञात व्यक्ति के पानी में डूबे होने की सूचना मिली थी। फॉरेंसिक टीम के साथ मौके पर पहुंची पुलिस ने शव निकाला।
उन्होंने बताया:
- मृतक की उम्र लगभग 40–45 वर्ष प्रतीत होती है।
- पहचान अभी नहीं हो पाई है।
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही मौत के कारणों का पता चल सकेगा।
पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि व्यक्ति टंकी तक पहुंचा कैसे, और यह दुर्घटना थी या कुछ और।
😡 स्थानीय लोगों में आक्रोश, नगर निगम पर गंभीर सवाल
घटना के बाद पचरी पारा, सिविल लाइन और शिक्षक नगर के लोग गुस्से में हैं। उनका कहना है कि जहां से पूरा इलाका पानी पीता है, वहां इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो सकती है?
🗣 नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष ने लगाए आरोप
नगर निगम में नेता विपक्ष संजय कोहले ने निगम प्रशासन पर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा—
“शहर की टंकियां पूरी तरह असुरक्षित हैं। कई इलाकों में टंकियों की न तो चारदीवारी है और न ही चौकीदार। यह घटना इसी लापरवाही का नतीजा है।”
उन्होंने यह भी बताया कि आर्यनगर, शक्तिनगर और गिरधारी नगर जैसी टंकियों में बुनियादी सुरक्षा भी नहीं है। उन्होंने इस मामले की उच्च-स्तरीय जांच की मांग की है।
🧑🤝🧑 लोगों में फैल रही बेचैनी
टंकी से पानी पीने वाले परिवारों में डर और बेचैनी है। लोग सोचकर घबरा रहे हैं कि कहीं इस दूषित पानी से कोई बीमारी न फैल जाए। कई लोगों ने प्रशासन से तत्काल स्वास्थ्य परीक्षण और पानी की गुणवत्ता की जांच की मांग की है।
कुल मिलाकर, दुर्ग की यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि शहर की मूलभूत सुविधाएं कितनी असुरक्षित हैं। अब सबकी नजरें पुलिस जांच और नगर निगम की जिम्मेदारी पर हैं—ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो।
