नई दिल्ली। दिल्ली ब्लास्ट केस (Delhi blast case) में एक बड़ा खुलासा सामने आया है। जांच एजेंसियों ने बताया कि मुख्य आरोपी डॉक्टर मुज़म्मिल ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि उसने अपने साथी उमर के साथ Red Fort क्षेत्र की रेकी की थी। इसी इलाके में हुए धमाके में नौ लोगों की जान गई थी।
मुज़म्मिल ने जांचकर्ताओं को बताया कि उनका अगला बड़ा निशाना 26 जनवरी को होने वाला था। उस दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए भारी भीड़ जुटती है और सुरक्षा भी सख्त रहती है। इसके बावजूद उन्होंने पहले से ही इलाके का पूरा सर्वे और वीडियो रिकॉर्डिंग कर रखी थी।
🎯 दिवाली पर भी था हमला करने का प्लान
सूत्रों के मुताबिक, मुज़म्मिल ने यह भी बताया कि उन्होंने इस दिवाली पर एक भीड़भाड़ वाले बाजार में हमला करने की योजना बनाई थी। हालांकि, किसी कारणवश यह योजना अधूरी रह गई। यह जानकारी जांच एजेंसियों के लिए बेहद अहम मानी जा रही है।
🧠 डॉक्टरों का नेटवर्क बना ‘व्हाइट कॉलर टेरर ग्रुप’
जांच में सामने आया है कि यह आतंकी नेटवर्क अल-फलाह यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद से जुड़े डॉक्टरों और प्रोफेशनल्स का समूह था। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इसे ‘व्हाइट कॉलर टेरर इकोसिस्टम’ करार दिया है।
यह समूह एन्क्रिप्टेड चैनलों के माध्यम से बातचीत करता था। फंडिंग के लिए ये लोग सोशल और चैरिटेबल प्रोजेक्ट्स के नाम पर पैसा जुटाते थे। जांच में पता चला है कि उन्होंने न केवल रैडिकलाइजेशन और भर्ती का काम किया, बल्कि आईईडी बनाने की सामग्री और हथियारों की व्यवस्था भी की।
🚨 Red Fort ब्लास्ट में उमर की मौत
इस मामले में मुज़म्मिल का साथी उमर, जो उसी यूनिवर्सिटी में काम करता था, धमाके के दौरान कार में ही मारा गया। कार Red Fort मेट्रो स्टेशन के पास ट्रैफिक सिग्नल पर फट गई थी। घटना के बाद देशभर में सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया था।
🔍 आगे की जांच जारी
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और एनआईए की संयुक्त टीम अब फोन डेटा, बैंक ट्रांजेक्शन और डिजिटल चैट्स की जांच कर रही है। एजेंसियों का मानना है कि यह नेटवर्क अभी भी सक्रिय हो सकता है और अन्य राज्यों तक फैला हुआ है।
जांच अधिकारियों के मुताबिक, इस Delhi blast case से जुड़ी जानकारियां आगे और बड़े खुलासे कर सकती हैं।
