नई दिल्ली, 10 नवंबर 2025:
राजधानी दिल्ली में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता (Air Pollution) के खिलाफ रविवार शाम इंडिया गेट पर सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में माता-पिता, पर्यावरण कार्यकर्ता, आम नागरिक, पशु अधिकार संगठनों के सदस्य और कई राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए।
प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार को यह संदेश देना था कि दिल्ली में हवा अब “सांस लेने लायक नहीं बची है” और लोगों का धैर्य अब टूट रहा है। प्रदर्शन शाम 5 बजे शुरू हुआ, जिसके कुछ समय बाद दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर करीब 60-80 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।

🔹 बिना अनुमति के प्रदर्शन पर पुलिस कार्रवाई
दिल्ली पुलिस के अनुसार, यह प्रदर्शन बिना अनुमति आयोजित किया गया था।
डीसीपी (नई दिल्ली) देवेश कुमार महला ने बताया —
“हमने केवल उन्हीं लोगों को हिरासत में लिया जो मंसिंग रोड को जाम कर रहे थे और आम जनता के आने-जाने में बाधा डाल रहे थे।”
उन्होंने कहा कि प्रदर्शन में आम आदमी पार्टी (AAP) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज मौजूद थे।
पुलिस ने बताया कि पहले ही दिन पहले जॉइंट सीपी आनंद कुमार मिश्रा ने सुरक्षा और ट्रैफिक कारणों से इंडिया गेट पर प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी थी और प्रदर्शनकारियों को जंतर मंतर जाने की सलाह दी थी।
🔹 बच्चों तक को हिरासत में लेने के आरोप
पर्यावरण कार्यकर्ता विमलेंदु झा ने X (पूर्व में ट्विटर) पर दावा किया कि पुलिस ने कुछ बच्चों को भी हिरासत में लिया है।
उन्होंने लिखा —
“यहाँ तक कि बच्चे भी हिरासत में हैं, जो सिर्फ साफ हवा के अपने अधिकार की मांग कर रहे थे।”
हालाँकि, डीसीपी महला ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया और कहा कि किसी भी बच्चे को हिरासत में नहीं लिया गया है।

🔹 लोगों की पीड़ा: “अब सर्दियां घर में बंद रहकर गुजरती हैं”
प्रदर्शन में मौजूद लोगों ने दिल्ली के प्रदूषण को लेकर अपनी नाराजगी खुलकर व्यक्त की।
आकांक्षा कुलकर्णी, जो एक चार वर्षीय बेटी की माँ हैं, ने कहा —
“मैंने पिछले एक महीने से अपनी बेटी को पार्क नहीं भेजा है। पर कब तक और किस हद तक हम बच्चों को घर में बंद रखेंगे?”
उन्होंने जोड़ा —
“सर्दियाँ कभी दिल्ली का सबसे खूबसूरत मौसम हुआ करती थीं, लेकिन अब हम इन्हें खिड़कियों के अंदर बिताते हैं।”
🔹 सरकार की भूमिका पर सवाल
एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि सरकार केवल पराली जलाने और डेटा हेरफेर का मुद्दा उठाकर अपनी जिम्मेदारी से बच रही है।
“अगर सरकारें चाहें तो पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर ठोस योजना बना सकती हैं। लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है।”
एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा —
“अमीर लोग तो एयर प्यूरीफायर लगा लेते हैं, लेकिन सड़कों पर काम करने वाले मजदूर, बसों में सफर करने वाले आम लोग क्या करें?”
🔹 पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने भी जताई नाराजगी
प्रदर्शन में शामिल कुछ पशु अधिकार कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट के हालिया आवारा कुत्तों पर फैसले से नाराज थे।
हर्षिता, जो एनिमल एक्टिविस्ट हैं, ने कहा —
“सरकार कहती है कुत्तों को स्कूल, अस्पतालों से हटाओ, लेकिन सवाल है — कहाँ रखेंगे उन्हें? क्या उनके लिए कोई सुरक्षित व्यवस्था है?”
🔹 नेताओं की प्रतिक्रियाएँ
प्रदर्शन के बाद सियासत भी गरमा गई।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि यह संकट पिछली सरकार की “नीतिगत विफलता” का परिणाम है।
वहीं, AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने पलटवार करते हुए कहा —
“बीते दस सालों में दिल्ली की हवा बदतर होती गई है। अब तो सरकारी संस्थान भी डेटा में हेरफेर कर रहे हैं — जिससे जनता में अविश्वास पैदा हुआ है।”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने X पर पोस्ट करते हुए कहा —
“साफ हवा का अधिकार एक मौलिक मानव अधिकार है। शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार संविधान से मिला है, फिर भी नागरिकों को अपराधी की तरह क्यों देखा जा रहा है?”
उन्होंने जोड़ा —
“सरकार को लोगों पर कार्रवाई करने के बजाय प्रदूषण पर ठोस कदम उठाने चाहिए।”

🔹 नागरिकों का संदेश — “हमें सांस लेने दो”
इस प्रदर्शन ने एक बार फिर दिल्ली में “क्लीन एयर मूवमेंट” को नया बल दिया है।
लोगों ने तख्तियाँ उठाईं जिन पर लिखा था — “Right to Breathe”, “Clean Air for Our Children” और “Stop Hiding Behind Excuses.”
प्रदूषण से त्रस्त नागरिकों ने सरकार से अपील की कि अब समय आ गया है जब “नीतियों नहीं, नीयत” बदलनी होगी।
