रायपुर, 8 नवम्बर 2025।
छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय सरकार राज्य की शराब बिक्री नीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। पिछले वित्त वर्ष में लगभग ₹3,000 करोड़ के राजस्व घाटे के बाद सरकार ने 2024-25 के लिए ₹12,500 करोड़ का नया लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अब 2017 में लागू सरकारी बिक्री प्रणाली को हटाकर ठेका पद्धति (Contract System) फिर से लागू करने की योजना बनाई जा रही है।
अधिकारियों का मानना है कि ठेका सिस्टम से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, निजी भागीदारी के चलते राजस्व में वृद्धि होगी और साथ ही अवैध शराब बिक्री पर भी नियंत्रण संभव होगा। प्रस्तावित नई शराब नीति का मसौदा तैयार हो चुका है, जिसे जल्द ही राज्य कैबिनेट के सामने रखा जाएगा।
सरकारी बिक्री प्रणाली पर उठे सवाल
वर्ष 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सरकार ने राज्य में सरकारी शराब बिक्री प्रणाली शुरू की थी। बाद में भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने भी इस मॉडल को जारी रखा, लेकिन इससे न तो अवैध शराब पर रोक लगी और न ही राजस्व लक्ष्य पूरे हुए।
साय सरकार का मानना है कि सरकारी दुकानों के माध्यम से बिक्री की यह प्रणाली अब “अप्रभावी” साबित हो रही है। इसलिए राज्य सरकार अब ठेका पद्धति को दोबारा लागू कर पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा दोनों को बढ़ाना चाहती है।
कांग्रेस का आरोप: ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने की तैयारी
इस बीच कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि यह बदलाव केवल ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा,
“सरकार खुद की बनाई प्रणाली को खत्म कर अब सबकुछ निजी हाथों में सौंपने जा रही है। यह नीति आम जनता के हित में नहीं है।”
आबकारी विभाग की बैठक में तय दिशा
आबकारी विभाग की सचिव सह आयुक्त आर. संगीता की अध्यक्षता में पिछले महीने अधिकारियों, उद्योग प्रतिनिधियों और लाइसेंस धारकों के साथ बैठक हुई। इस बैठक में पारदर्शिता, प्रतिस्पर्धा और राजस्व बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की गई।
सूत्रों के अनुसार, नई नीति का मसौदा तैयार है और इसे जल्द राज्य कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। सरकार 2026-27 तक एक स्थायी और व्यावहारिक शराब नीति लागू करना चाहती है।
साय सरकार का फोकस: राजस्व और पारदर्शिता दोनों पर
सरकार का उद्देश्य केवल राजस्व बढ़ाना नहीं, बल्कि अवैध कारोबार रोकना और प्रशासनिक खर्च कम करना भी है। ठेका प्रणाली से निगरानी आसान होगी और राज्य को स्थायी आय का स्रोत मिलेगा।
अधिकारियों के अनुसार, साय सरकार चाहती है कि शराब नीति को केवल राजस्व मॉडल नहीं, बल्कि पारदर्शिता और नियंत्रण के आदर्श मॉडल के रूप में विकसित किया जाए।
