नई दिल्ली, 8 नवम्बर 2025।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी के लिए एक बार फिर मुश्किलें बढ़ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपी नेता रामअवतार जग्गी हत्याकांड में 18 साल बाद उनके खिलाफ मामला फिर से खोलने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि यह एक “संवेदनशील मामला” है और हाईकोर्ट को तकनीकी कारणों के बजाय “उदार और व्यावहारिक दृष्टिकोण” अपनाना चाहिए था।
यह मामला वर्ष 2003 का है, जब एनसीपी के कार्यकर्ता रामअवतार जग्गी की हत्या हुई थी। उस समय अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री थे, और आरोप लगाया गया था कि साजिश मुख्यमंत्री निवास में रची गई थी। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।
साल 2007 में निचली अदालत ने अमित जोगी को बरी कर दिया था, जबकि 20 अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया गया था। इसके बाद राज्य सरकार और सीबीआई दोनों ने हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन सीबीआई की अपील लगभग 1,373 दिन की देरी से दायर की गई थी।
हाईकोर्ट ने इस देरी को अस्वीकार करते हुए अपील खारिज कर दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि इतना गंभीर मामला सिर्फ तकनीकी आधार पर खत्म नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा,
“सीबीआई की अपील में देरी जरूर हुई, लेकिन आरोप अत्यंत गंभीर हैं, इसलिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए सुनवाई होनी चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले को हाईकोर्ट में दोबारा सुनवाई के लिए वापस भेज दिया है, ताकि सीबीआई की अपील को मेरिट के आधार पर परखा जा सके।
यह फैसला छत्तीसगढ़ की राजनीति में नई हलचल पैदा कर सकता है, क्योंकि रामअवतार जग्गी हत्याकांड उस दौर में राज्य की सियासत का सबसे चर्चित मामला रहा था।
