नई दिल्ली, 3 नवंबर 2025:
कांग्रेस सांसद शशि थरूर के एक लेख ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। थरूर ने लिखा कि नेहरू-गांधी परिवार का प्रभाव भारत की आज़ादी के संघर्ष से जुड़ा हुआ है, लेकिन इसने “राजनीतिक नेतृत्व को जन्मसिद्ध अधिकार” मानने की सोच को भी मज़बूत किया है।
यह लेख उन्होंने 31 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय विचार मंच ‘प्रोजेक्ट सिंडिकेट’ (Project Syndicate) पर प्रकाशित किया था। उनके इस बयान को BJP ने कांग्रेस और RJD के नेताओं पर “सीधा हमला” करार दिया है।
⚡ BJP का पलटवार: “सीधा वार राहुल और तेजस्वी पर”
BJP प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने कहा कि थरूर का लेख “राजनीतिक वंशवाद पर सीधा प्रहार” है और यह राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जैसे “नपो किड्स” पर तंज है।
उन्होंने एक्स (X) पर लिखा —
“देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अब थरूर के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है, जिन्होंने इतनी बेबाकी से सच कहा है।”
🧠 थरूर का लेख: वंशवाद लोकतंत्र के लिए खतरा
अपने लेख में शशि थरूर ने लिखा कि भारत की राजनीतिक पार्टियां आज भी व्यक्तित्व आधारित (personality-driven) हैं और उनमें पारदर्शी आंतरिक चुनाव प्रक्रिया (internal party elections) की कमी है।
उन्होंने कहा —
“नेतृत्व चयन अक्सर एक छोटे समूह या एक व्यक्ति के हाथ में होता है, जिससे नेपोटिज़्म (Nepotism) प्रतिभा पर हावी हो जाता है।”
थरूर ने स्पष्ट शब्दों में लिखा —
“जब राजनीतिक शक्ति वंश पर निर्भर होती है, न कि योग्यता या जनता से जुड़ाव पर, तब शासन की गुणवत्ता गिर जाती है।”
🧾 भारत और पड़ोसी देशों के उदाहरण
थरूर ने अपने लेख में भारत के कई परिवार-आधारित राजनीतिक दलों का ज़िक्र किया —
- नेहरू-गांधी परिवार (कांग्रेस)
 
- ठाकरे परिवार (शिवसेना, महाराष्ट्र)
 
- यादव परिवार (समाजवादी पार्टी, उत्तर प्रदेश)
 
- पासवान परिवार (लोक जनशक्ति पार्टी, बिहार)
 
- करुणानिधि-स्टालिन परिवार (DMK, तमिलनाडु)
 
- अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार (जम्मू-कश्मीर)
 
- बादल परिवार (अकाली दल, पंजाब)
 
- चंद्रशेखर राव परिवार (BRS, तेलंगाना)
 
उन्होंने यह भी बताया कि भारत में 149 राजनीतिक परिवार ऐसे हैं जिनके कई सदस्य विधानसभा में हैं, जबकि 11 केंद्रीय मंत्री और 9 मुख्यमंत्री पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं।
थरूर ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका के राजनीतिक वंशों — भुट्टो, शरीफ, शेख, ज़िया, बंडारनायके और राजपक्षे परिवारों — का भी ज़िक्र किया।
📚 वंशवाद के कारण और सांस्कृतिक पहलू
थरूर ने यह भी लिखा कि भारत में वंशवादी राजनीति का एक सांस्कृतिक कारण भी है।
उनके अनुसार —
“भारतीय समाज में आज भी सामंती सोच मौजूद है। पहले जो श्रद्धा ज़मींदारों और राजाओं के लिए होती थी, वही आज राजनीतिक नेताओं के लिए हो गई है।”
उन्होंने कहा कि कम साक्षरता दर, नाम की पहचान (brand recognition) और विश्वसनीयता का भ्रम भी वंशवाद को बढ़ावा देते हैं।
⚖️ कांग्रेस से दूरी और विवादों की पृष्ठभूमि
शशि थरूर का यह बयान उस समय आया है जब वे पहले से ही कांग्रेस नेतृत्व से दूरी बनाए हुए हैं।
2022 में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव मल्लिकार्जुन खड़गे से हारा था।
पिछले दिनों उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की सराहना भी की थी, जिसके बाद पार्टी के अंदर असंतोष देखने को मिला था।
🗳️ राजनीतिक विश्लेषण
विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आया यह बयान भाजपा को वंशवाद बनाम योग्यता के नैरेटिव को और मजबूत करने में मदद करेगा।
कांग्रेस फिलहाल इस विवाद पर चुप्पी साधे हुए है, जबकि भाजपा लगातार इस मुद्दे को हवा दे रही है।
 
शशि थरूर का बयान: “नेहरू-गांधी परिवार ने जन्मसिद्ध नेतृत्व का भाव मजबूत किया” — BJP बोली, राहुल और तेजस्वी पर सीधा वार
नई दिल्ली, 3 नवंबर 2025:
कांग्रेस सांसद शशि थरूर के एक लेख ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। थरूर ने लिखा कि नेहरू-गांधी परिवार का प्रभाव भारत की आज़ादी के संघर्ष से जुड़ा हुआ है, लेकिन इसने “राजनीतिक नेतृत्व को जन्मसिद्ध अधिकार” मानने की सोच को भी मज़बूत किया है।
यह लेख उन्होंने 31 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय विचार मंच ‘प्रोजेक्ट सिंडिकेट’ (Project Syndicate) पर प्रकाशित किया था। उनके इस बयान को BJP ने कांग्रेस और RJD के नेताओं पर “सीधा हमला” करार दिया है।
⚡ BJP का पलटवार: “सीधा वार राहुल और तेजस्वी पर”
BJP प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने कहा कि थरूर का लेख “राजनीतिक वंशवाद पर सीधा प्रहार” है और यह राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जैसे “नपो किड्स” पर तंज है।
उन्होंने एक्स (X) पर लिखा —
🧠 थरूर का लेख: वंशवाद लोकतंत्र के लिए खतरा
अपने लेख में शशि थरूर ने लिखा कि भारत की राजनीतिक पार्टियां आज भी व्यक्तित्व आधारित (personality-driven) हैं और उनमें पारदर्शी आंतरिक चुनाव प्रक्रिया (internal party elections) की कमी है।
उन्होंने कहा —
थरूर ने स्पष्ट शब्दों में लिखा —
🧾 भारत और पड़ोसी देशों के उदाहरण
थरूर ने अपने लेख में भारत के कई परिवार-आधारित राजनीतिक दलों का ज़िक्र किया —
उन्होंने यह भी बताया कि भारत में 149 राजनीतिक परिवार ऐसे हैं जिनके कई सदस्य विधानसभा में हैं, जबकि 11 केंद्रीय मंत्री और 9 मुख्यमंत्री पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं।
थरूर ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका के राजनीतिक वंशों — भुट्टो, शरीफ, शेख, ज़िया, बंडारनायके और राजपक्षे परिवारों — का भी ज़िक्र किया।
📚 वंशवाद के कारण और सांस्कृतिक पहलू
थरूर ने यह भी लिखा कि भारत में वंशवादी राजनीति का एक सांस्कृतिक कारण भी है।
उनके अनुसार —
उन्होंने कहा कि कम साक्षरता दर, नाम की पहचान (brand recognition) और विश्वसनीयता का भ्रम भी वंशवाद को बढ़ावा देते हैं।
⚖️ कांग्रेस से दूरी और विवादों की पृष्ठभूमि
शशि थरूर का यह बयान उस समय आया है जब वे पहले से ही कांग्रेस नेतृत्व से दूरी बनाए हुए हैं।
2022 में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव मल्लिकार्जुन खड़गे से हारा था।
पिछले दिनों उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की सराहना भी की थी, जिसके बाद पार्टी के अंदर असंतोष देखने को मिला था।
🗳️ राजनीतिक विश्लेषण
विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आया यह बयान भाजपा को वंशवाद बनाम योग्यता के नैरेटिव को और मजबूत करने में मदद करेगा।
कांग्रेस फिलहाल इस विवाद पर चुप्पी साधे हुए है, जबकि भाजपा लगातार इस मुद्दे को हवा दे रही है।