बीजापुर, 30 अक्टूबर 2025 CRPF free medical camp Bijapur।
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने ग्रामीणों के लिए एक नि:शुल्क चिकित्सा शिविर (CRPF free medical camp Bijapur) का आयोजन किया। यह शिविर जिदपल्ली कैंप के पास रावतपारा गांव में लगाया गया, जहां सैकड़ों ग्रामीणों ने स्वास्थ्य जांच और दवा का लाभ उठाया।
मलेरिया प्रभावित इलाके में नियमित स्वास्थ्य सुविधा
सीआरपीएफ के चिकित्सक डॉ. विनोथ कुमार ने बताया कि बीजापुर का यह क्षेत्र मलेरिया प्रभावित है। उन्होंने कहा —
“हम हर महीने गांव में मेडिकल कैंप लगाते हैं। हमारे कैंप में 24 घंटे इलाज की सुविधा है। हमारा प्रयास है कि ग्रामीणों को अधिकतम चिकित्सा सहायता मिले।”
कमांडेंट लतीफ साहू ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य कैंप के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है। उन्होंने कहा —
“जिदपल्ली कैंप की स्थापना के साथ ही हमने तय किया कि लोगों को स्वास्थ्य सुविधा भी यहीं दी जाएगी। प्रतिदिन करीब 20 से 25 लोग हमारे अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं।”
ग्रामीणों ने जताया आभार
गांव के निवासी मनोज कुमार यादव ने कहा —
“पहले हमें इलाज के लिए दूर जाना पड़ता था। अब सीआरपीएफ कैंप से ही दवा और जांच की सुविधा मिल रही है। यह हमारे लिए बहुत बड़ी मदद है।”
नक्सल मोर्चे पर बड़ी सफलता — 21 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
उधर, बस्तर क्षेत्र से बड़ी खबर सामने आई है। यहां 21 नक्सलियों, जिनमें 13 महिला सदस्य शामिल हैं, ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है।
आईजी बस्तर पी. सुंदरराज ने बताया —
“26 अक्टूबर को कुल 21 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनके पास 18 हथियार थे। इनमें केशकाल डिवीजन कमेटी के सचिव ‘मुखेश’ भी शामिल हैं। प्रशासन उनकी पुनर्वास में पूरी मदद कर रहा है।”
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बताई नीति की सफलता
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसे राज्य सरकार की ‘समर्पण एवं पुनर्वास नीति – 2025’ की बड़ी सफलता बताया।
उन्होंने कहा —
“भटके हुए युवाओं ने विकास की राह चुनी है। ‘पुना मर्गेम’ और ‘नियाड़ नेल्ला नर योजना’ के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अब विश्वास और परिवर्तन का नया दौर शुरू हो गया है।”
सीएम साय ने ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा —
“जनविरोधी माओवादी विचारधारा का अंत, बस्तर में शांति की स्थापना — यह हमारी नीति की वास्तविक सफलता है।”
बस्तर में उम्मीद की नई सुबह
सीआरपीएफ की चिकित्सा पहल और नक्सलियों के आत्मसमर्पण ने बस्तर क्षेत्र में शांति और विकास की नई आशा जगाई है। एक ओर ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा मिल रही है, वहीं दूसरी ओर माओवादी हिंसा छोड़कर लोग मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं — जो बस्तर के लिए बदलाव की बड़ी कहानी बन रही है।
