नई दिल्ली, 29 अक्टूबर 2025 Sonam Wangchuk detention Supreme Court— लद्दाख के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर उनकी पत्नी डॉ. गीता अंजुम (Dr. Gitanjali Angmo) ने सुप्रीम कोर्ट में एक संशोधित याचिका दायर की है।
इस याचिका में उन्होंने कहा है कि Sonam Wangchuk detention Supreme Court के समक्ष रखा गया यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA Act 1980) के तहत हुई “मनमानी गिरफ्तारी” का स्पष्ट उदाहरण है।
🧾 पुराने और अप्रासंगिक FIR पर आधारित गिरफ्तारी
डॉ. अंजुम ने अपनी अर्जी में कहा कि वांगचुक के खिलाफ जिन पाँच एफआईआरों का हवाला दिया गया है, उनमें तीन एक साल से अधिक पुरानी हैं और उनमें उनका नाम तक नहीं है।
उन्होंने बताया कि एक एफआईआर तो “अज्ञात लोगों” के खिलाफ है, जबकि केवल चौथी एफआईआर में वांगचुक का नाम शामिल किया गया, वह भी तब जब उन्होंने Apex Board of Leh (ABL) की सदस्यता स्वीकार की थी।
याचिका के अनुसार, “इन एफआईआरों का वांगचुक की गिरफ्तारी से कोई प्रत्यक्ष या तार्किक संबंध नहीं है। यह Sonam Wangchuk detention Supreme Court के समक्ष न्यायिक समीक्षा की मांग करता है।”
⚖️ गलत तरीके से “उकसाने” का आरोप
डॉ. अंजुम ने कहा कि वांगचुक ने कभी किसी आंदोलन को हिंसक नहीं बनाया, बल्कि उन्होंने हमेशा ABL और Kargil Democratic Alliance (KDA) के शांतिपूर्ण राज्यत्व आंदोलन का समर्थन किया।
उन्होंने बताया कि “मंत्रालय के साथ बातचीत फिर शुरू न होने पर” पहले से ही नेताओं ने हड़ताल की घोषणा की थी, इसलिए वांगचुक को “उकसाने वाला” कहना गलत है।
🗳️ लद्दाख चुनाव से पहले निशाना बनाना
अर्ज़ी में दावा किया गया है कि वांगचुक को लद्दाख हिल डेवलपमेंट काउंसिल (LAHDC) लेह चुनाव से ठीक पहले निशाना बनाया गया, क्योंकि उन्होंने राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को फिर उठाया था।
डॉ. अंजुम के अनुसार, “दो महीने पहले तक सब कुछ सामान्य था, लेकिन जैसे ही उन्होंने राजनीतिक सवाल उठाए, उनके NGO पर कार्रवाई, जांच और नोटिस शुरू हो गए।”
📹 अपूर्ण दस्तावेज़ और प्रक्रिया में खामियां
डॉ. अंजुम ने कहा कि हिरासत के तीन दिन बाद तक उन्हें पूरा Detention Order नहीं मिला और चार वीडियो सबूतों तक पहुंच 28 दिन बाद मिली।
उनका कहना है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) की धारा 8 और 11 का उल्लंघन है, जिसमें पाँच दिन के भीतर हिरासत के कारणों की जानकारी देना अनिवार्य है।
🏛️ सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने डॉ. अंजुम की याचिका को संशोधित करने की अनुमति दी है।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि वांगचुक को बिना पर्याप्त आधार के हिरासत में रखा गया है और यह संविधान के अनुच्छेद 22(5) का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से Sonam Wangchuk detention Supreme Court मामले पर जवाब दाखिल करने को कहा है।
🌍 पृष्ठभूमि
सोनम वांगचुक, जो लद्दाख में जलवायु और शिक्षा सुधार के लिए प्रसिद्ध हैं, पिछले महीने लद्दाख राज्यत्व आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के बाद से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं।
सरकार का दावा है कि उनकी रिहाई से “कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है”, जबकि समर्थक इसे “राजनीतिक दमन” बता रहे हैं।
