Ambikapur Chhath Puja 2025। सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा इस बार छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में भक्ति और भव्यता के अद्भुत संगम के रूप में मनाया गया। शहर का प्रसिद्ध पैलेस घाट इस वर्ष का मुख्य आकर्षण बना, जिसे राजशाही थीम पर सजाया गया था। हजारों श्रद्धालु महिलाएं मंत्रोच्चारण करते हुए डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती नजर आईं।
🌅 पैलेस घाट पर छठ की राजशाही छटा
अंबिकापुर का पैलेस घाट इस बार पूरी तरह रोशनी और रंगों से जगमगा उठा। घाट को फूलों, दीपों और पारंपरिक सजावट से सजाया गया था। प्रशासन और स्थानीय समिति ने सुरक्षा, स्वच्छता और व्यवस्था के विशेष इंतजाम किए।
शाम ढलते ही जब सूर्य लालिमा में डूब रहा था, तब Ambikapur Chhath Puja 2025 का सबसे मनमोहक दृश्य सामने आया — व्रती महिलाओं ने पवित्र जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।
🙏 श्रद्धा और भक्ति का संगम
स्थानीय व्रती अनीता वर्मा ने बताया कि छठ पर्व चार दिनों तक चलने वाला एक कठिन लेकिन पवित्र व्रत है। पहले दिन ‘नहाए-खाए’, दूसरे दिन ‘खरना’ और तीसरे दिन सूर्यास्त के समय अर्घ्य दिया जाता है। अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद व्रत पूर्ण होता है।
उन्होंने कहा, “मैं बचपन से यह पर्व मना रही हूं। यह केवल पूजा नहीं, बल्कि पूरे परिवार के लिए आशीर्वाद का पर्व है।”
🌼 भव्य सजावट और व्यवस्था बनी चर्चा का विषय
इस वर्ष पैलेस घाट पर छठ पूजा के लिए की गई राजशाही सजावट चर्चा का विषय रही। पूरे घाट को रंगीन लाइटों से सजाया गया था। पानी में तैरते दीपों की रोशनी और श्रद्धालुओं के गीतों ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। प्रशासन ने घाट पर मेडिकल, पानी और सुरक्षा की भी पूरी व्यवस्था की थी।
🌞 छठ पर्व का पर्यावरण संदेश
स्थानीय समाजसेवी डॉ. प्रशांत शर्मा ने बताया कि छठ पर्व न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देता है। उन्होंने कहा, “इस पर्व में प्रकृति, जल और सूर्य की आराधना की जाती है। व्रती महिलाएं पूरी तरह प्राकृतिक वस्तुओं — जैसे गन्ना, नारियल, केले और मिट्टी के दीयों — का उपयोग करती हैं, जिससे पर्यावरण को कोई हानि नहीं होती।”
🌍 उत्तर भारत से देशभर तक फैली आस्था
Ambikapur Chhath Puja 2025 केवल उत्तर भारत तक सीमित नहीं रही। आज यह पर्व छत्तीसगढ़ समेत देश के हर हिस्से में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। अंबिकापुर के पैलेस घाट पर इस वर्ष का आयोजन परंपरा, भक्ति और संस्कृति का अनोखा संगम साबित हुआ।
रविवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह महापर्व पूर्ण होगा, लेकिन लोगों के दिलों में इसकी भक्ति और उत्साह लंबे समय तक बना रहेगा।
