कांकेर (छत्तीसगढ़): राज्य में नक्सल उन्मूलन की दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है। रविवार को कांकेर जिले में कुल 21 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण (Kanker Maoist surrender) किया। इन नक्सलियों ने पुलिस अधिकारियों के समक्ष अपने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया।
बस्तर रेंज पुलिस की ‘पूना माड़गम: पुनर्वास के माध्यम से पुनः एकीकरण’ योजना के तहत ये आत्मसमर्पण हुआ है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वालों में डिवीजन कमेटी सचिव मुकेश भी शामिल हैं।
🔫 नक्सलियों ने सौंपे 18 हथियार
पुलिस ने बताया कि इन नक्सलियों में से 13 महिलाएं हैं। 21 में से 4 डिवीजनल कमेटी सदस्य, 9 एरिया कमेटी सदस्य और 8 निचले स्तर के सदस्य हैं। ये सभी केशकल डिवीजन (नॉर्थ सब-जोनल ब्यूरो) के कुएमारी-किसकोडो एरिया कमेटी से जुड़े थे।
आत्मसमर्पण के दौरान उन्होंने 3 एके-47, 2 इंसास राइफल, 4 एसएलआर, 6 .303 राइफल, 2 सिंगल शॉट राइफल और 1 बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (BGL) पुलिस को सौंपे।
🌿 ‘पूना माड़गम’ पहल से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दिखा बदलाव
बस्तर पुलिस द्वारा शुरू की गई ‘पूना माड़गम’ योजना का उद्देश्य नक्सलियों को हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है। इस योजना के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास, सुरक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
🧍♂️ बड़े आत्मसमर्पणों की कड़ी जारी
हाल के दिनों में नक्सली आत्मसमर्पणों का सिलसिला तेज हुआ है। 17 अक्टूबर को बस्तर जिले के जगदलपुर में 210 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था, जिनमें केंद्रीय समिति सदस्य रूपेश उर्फ सतीश भी शामिल थे। उन्होंने 153 हथियार पुलिस को सौंपे थे।
इसी तरह, 2 अक्टूबर को बीजापुर जिले में 103 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था, जिनमें 49 पर ₹1.06 करोड़ का इनाम घोषित था।
💬 अधिकारियों ने जताई संतुष्टि
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लगातार बढ़ रहे आत्मसमर्पणों से यह साबित होता है कि बस्तर में सरकार की नीतियां और पुलिस की योजनाएं असरदार साबित हो रही हैं। कांकेर में हुआ यह Kanker Maoist surrender इस बात का प्रमाण है कि अब नक्सली हिंसा से बाहर निकलकर शांति की राह चुन रहे हैं।
